जहां हार के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने अपने हथियार डाल दिये हैं वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत. जो 2017 से लगातार चार चुनाव हार रहे हैं, अभी भी सक्रिय बने हुए हैं. आखिर हरदा के मन में चल क्या रहा है. एक ओर उनकी पार्टी में कुछ नेता ऐसे हैं जो लगातार उन पर वार पर वार किय जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सत्ता दल के नेता उनको मिलने पहुंच रह हैं. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उन्हें मिलने पहुंच गये. नैनीताल विधायक सरिता आर्य की बात करें तो वे कांग्रेस में टिकट कटने से खासा नाराज थी, लेकिन वह भी उनसे मिलने पहुंच गई. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी उन से मिलने पहुंची. ऐसे बीजेपी के कई नेता हैं जो उनसे मिलने पहुंच गये. अब ये तो नहीं है कि ये सब जख्मों पर नमक छिड़कने गये हों.
ऐसे में सवाल उठने भी लाजिमि हैं कि बीजेपी नेताओं को ऐसा क्या हो गया कि हरीश रावत के चक्कर काट करे हैं. भले ही हरीश रावत ने इस का जवाब बड़े प्यार से दिया कि वे एक घायल योद्धा हैं और महाभारत में भी घायल योद्धा को देखने विपक्षी खेमे के लोग आते थे. अब बात यहीं धम जाती तो ठीक था. लेकिन हरीश रावत उस नेता से मिलने पहुंच गये जो उन्हे फूटी आंख नहीं भाये कभी और न उस नेता को हरदा कभी फूटी आंख भाये. और वो नाम है सतपाल महाराज. हरीश रावत और सतपाल महाराज कितना एक दूसरे को पंसद करते हैं ये तो हर कोई जानता है. अब हरीश रावत सतपाल महाराज के आवास में मिलने पहुंच गये. जब सवाल खड़े हुए तो उन्होंने इस मुलाकात को कोरोना संक्रमण से जोड़ते हुए सतपाल महाराज को राजनीतिज्ञ, धर्मगुरू, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के ज्ञाता से लेकर चटनी विशेषज्ञ तक बना दिया. ऐसे में हर कोई यही तो सोचेगा ना कि कहीं हरीश रावत बीजेपी में तो नहीं जा रहे. लेकिन उन्होंने इस पर भी जवाब दिया कि अब बढ़ापें में पार्टी बदलने की वो सोच भी नहीं सकते. पर जनता को ये सोचने के लिए भी हरीश रावत जी ही मजबूर कर रहे हैं. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी जिसमें निराशा झलक रही थी. जिसमें लिखा था कि चुनाव में हार के बाद बहुत से अपने लोगों ने उनसे दूरी बना ली है. हारे हुए व्यक्ति से रूचि कम होना स्वाभाविक है. कांग्रेस में भी मुझ पर रूचि घटती जा रही है, पता नहीं कितने दिन कांग्रेस मुझे अपने से जोड़े रखना चाहती है. अब ये पोस्ट ही बहुत कुछ कह देती है. इसके साथ ही यह भी देखने को मिल रहा है कि हरीश रावत लगातार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारिफ करते नजर आ रहे हैं. वो कहते हैं ना बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी. अब हरीश रावत इस पूरी बात को किस ओर ले जाते हैं ये तो समय ही बतायेगा लेकिन इतना साफ है कि हरीश रावत राजनीति के पुराने खिलाड़ी है वे किस ओर गेंद फेंकते हैं ये वे ही बता सकते हैं. हम तो बस यही कह सकते हैं कि – दया कुछ तो गड़बड़ है.
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