विभाजन की कीमत पर मिली थी भारत को आजादी, लाखों लोगों ने झेला ये दंश

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आज से 75 साल पहले भारत को अंग्रेजों से छुटकारा तो मिल गया ,लेकिन भारत के दो टुकड़े हो गए -[भारत -पाकिस्तान]। भारत के विभाजन की वजह- भारत के बंटवारे की कहानी आजादी से बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी। इसके पीछे हिन्दू और मुस्लिमों के अपने अपने अधिकार और राजनीतिक हित थे, लेकिन एक सच ये भी है कि अंग्रेजी हुकूमत नहीं चाहती थी कि दक्षिण एशिया का यह देश कभी चैन की सांस ले। अंग्रेजी हुकूमत में भारत के गवर्नर जनरल रहे वाइसराय लार्ड मॉउन्टबेटन ने 3 जून 1947 को ही भारत को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान कर दिया था। साथ ही साथ रियासतों को स्वतंत्र रहने का विकल्प दे दिया, जिसके चलते कश्मीर की समस्या पनपी। लार्ड मॉउन्टबेटन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं से लम्बी चली बात के बाद भारत के विभाजन की घोषणा की ,जिसमे मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग कर रहे थे।

भारत के दो टुकड़े -75 साल पहले -लाखों लोगों ने झेला विभाजन का दंश

विभाजन की नींव-इतिहासकार बताते हैं कि भारत की विभाजन की पटकथा 1929 में ही लिख दी गयी थी जब मोतीलाल नेहरू समिति की सिफारिशों को हिन्दू महासभा ने मांनने से मना कर दिया था। दरअसल ,समिति ने असेंबली में मुसलमानों के लिए 33 फीसदी सीटों को आरक्षित करने की मांग रखी थी,जिससे हिन्दू महासभा सहमत नहीं था। जहाँ एक ओर मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों के प्रवक्ता बन गए वही कई मुस्लिम नेता जैसे-मौलाना आजाद और खान अब्दुल गफ्फार खान जैसे नेता इस बटवारे के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने मुस्लिम लीग की इस विभाजनकारी मानसिकता और छदम राजनीति का विरोध किया था। मुस्लिम लीग भारत के बहुसंखयकों पर वर्चस्व बंनाने का आरोप लगाती रही और अपने अल्पसंख्यकों को असुरक्षित बताती रही।

अंगेज हिन्दू मुस्लिम टकराव की आग को हवा देते रहे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के चलते कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता जेल में डाल दिए गए तो मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा के सत्ता लोलुप तत्वों को और मौका मिल गया अपनी छदम राजनीति को बढ़ावा देने का। विभाजन के प्लान का नाम -डिकी बर्ड प्लान-3 जून 1947 को मॉउन्टबेटन ने भारत के बंटवारे का प्लान पेश किया और 18 july 1947 को प्लान ब्रिटिश संसद ने पारित कर दिया। मॉउन्टबेटन ने इसी बटवारें के प्लान को डिकी बर्ड प्लान का नाम दिया। मॉउन्टबेटन ने कहा था कि भारत की राजनीतिक समस्या का हल सिर्फ विभाजन है।

सवा करोड़ लोग हो गए थे विस्थापित
विभाजन के बाद लाखों लोग बेघर हो गए और अपने ही देश में शरणार्थी बन कर रहने लगे। करीब सवा करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा और बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए।

महात्मा गांधी का स्टैंड
इतिहासकार बताते हैं कि गाँधी जी विभाजन और पाकिस्तान के रूप में नया देश बनाने के खिलाफ थे। गाँधी जी के इस स्टैंड के बाद भी कई लोग आज भी उन्हें बटवारे का जिम्मेदार मानते हैं और यह कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या उन्हें विभाजन का जिम्मेदार मानते हुए की थी।