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बाघों के लिए नहीं रहा अब सुरक्षित उत्तराखंड? 5 महीनों में 13 की मौत!

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UTTARAKHAND DEVBHOOMI DESK: उत्तराखंड में CORBETT TIGER RESERVE समेत विभिन्न जिलों में पिछले पांच माह में बाघों (UTTARAKHAND TIGER DEATH) की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। फिलहाल राज्य सरकार बाघों की मौत के कारणों की जांच में जुट गई है। सरकार ने पिछले पांच महीनों में उत्तराखंड राज्य में 13 बाघों की मौत को बहुत गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि मामले की जांच की जा रही है। जांच के दौरान किसी भी स्तर की लापरवाही सामने आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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UTTARAKHAND TIGER DEATH: बाघों के सुरक्षित घर क्यों नहीं बच रहें है?

उत्तराखंड को राजकीय पशु, बाघ के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। 2018 की जनगणना के अनुसार यहां बाघों की संख्या 442 है। CORBETT TIGER RESERVE बाघों का मुख्य घर है। बदलती परिस्थितियों में, बाघों ने यहाँ की जलवायु में खुद को जिस तरह से ढाल लिया है वो बताते हैं कि बाघों के लिए राज्य में बेहतर आवास की सुविधा है।

बीते कुछ महीनों में CORBETT TIGER RESERVE सहित विभिन्न क्षेत्रों में बाघों की मौत के कारण सरकार और वन प्रसाशन सवालों के घेरे में खड़े हो गए हैं। इन सबके मद्देनजर सरकार बाघ की मौत के कारणों की गहनता से जांच कर रही है। (UTTARAKHAND TIGER DEATH) सरकार भी बाघों की मौत को लेकर चिंतित है। सीएम धामी खुद इस मामले पर नजर रखे हुए हैं| मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पूरी घटना की जांच की जा रही है और परीक्षण किए जा रहे हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

UTTARAKHAND TIGER DEATH: क्या कहते हैं आकड़ें?

गौरतलब है कि 2018 की जनगणना के अनुसार राज्य की बाघों की आबादी 442 थी और इस साल जनवरी में (CORBETT TIGER RESERVE) में पहली बाघ की मौत (UTTARAKHAND TIGER DEATH) हुई थी। 2001 से 2023 तक, राज्य में कुल 181 बाघों की मौत हुई है, जिसमें अवैध शिकार, दुर्घटनाएं, झाड़ियों में आग, संघर्ष और उलझने से हुई मौतें शामिल हैं। अब लगातार हो रही इन मौतों को देखते हुए सरकार इसे गंभीरता से ले रही है।

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