/ Oct 07, 2025
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UTTARAKHAND MINORITY EDUCATION: उत्तराखण्ड में शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) ने उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसके साथ ही अब राज्य का मदरसा बोर्ड इतिहास बनने जा रहा है। इस नए कानून के लागू होने के बाद प्रदेश के सभी मदरसों को उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त करनी होगी और साथ ही उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद (उत्तराखण्ड बोर्ड) से संबद्धता लेनी होगी। यह कदम राज्य की शिक्षा प्रणाली को समान और आधुनिक दिशा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह राज्य में शिक्षा व्यवस्था को समान और आधुनिक बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने बताया कि जुलाई 2026 के सत्र से प्रदेश के सभी अल्पसंख्यक विद्यालयों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम (NCF) और नई शिक्षा नीति (NEP-2020) के तहत शिक्षा दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि “प्रदेश का हर बच्चा चाहे वह किसी भी वर्ग या समुदाय का हो समान शिक्षा और समान अवसरों के साथ आगे बढ़े।”
नए अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान कानून के तहत यदि किसी मदरसे में केवल धार्मिक शिक्षा देनी है, तो इसके लिए भी प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य होगा। अब शिक्षकों की नियुक्ति भी निर्धारित मानकों के अनुसार करनी होगी। इस कानून के लागू होने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसे केवल शैक्षिक सत्र 2025-26 तक ही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2016 और उत्तराखंड अरबी एवं फारसी मदरसा मान्यता नियमावली 2019 के तहत शिक्षा दे सकेंगे। अगले शैक्षिक सत्र 2026-27 से धार्मिक शिक्षा देने के इच्छुक सभी मदरसों को नए कानून के तहत गठित प्राधिकरण से पुनः मान्यता लेनी होगी।
यह मान्यता तीन सत्रों के लिए वैध रहेगी, जिसके बाद उसका नवीनीकरण कराना आवश्यक होगा। मान्यता के लिए यह शर्त भी जोड़ी गई है कि जिस शैक्षिक संस्थान को मान्यता चाहिए, उसकी जमीन संबंधित सोसाइटी के नाम पर दर्ज होनी चाहिए। नए कानून के तहत सभी वित्तीय लेन-देन अब केवल किसी कॉमर्शियल बैंक में उस संस्थान के नाम से खोले गए बैंक खाते के माध्यम से ही किए जा सकेंगे। साथ ही अल्पसंख्यक संस्थान अपने छात्रों या कर्मचारियों को किसी भी धार्मिक गतिविधि में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। मदरसों को शिक्षकों की नियुक्ति भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान परिषद द्वारा निर्धारित योग्यता मानकों के अनुसार करनी होगी।
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