निर्दलीयों को साध चुके कैलाश! क्या सरकार बनाने की ओर बढ़ रहा भाजपा का ‘‘विजय रथ’’?

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उत्तराखंड में त्रिशंकु विधानसभा की आशंका को देखते हुए जोड़-तोड़ में सबसे आगे चल रही भाजपा
कांग्रेस अपने ही जिताऊ प्रत्याशियों तक सिमित, सभी को राजस्थान ले जाने की कर रही बात

देहरादून, ब्यूरो। मतगणना से एक दिन पहले जहां एक ओर सभी नेताओं की बेचैनी बढ़ी हुई है। हर कोई अपनी-अपनी जीत के दावे भी कर रहा है। वहीं, एग्जिट पोल किसी भी दल को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचते हुए नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में जीतने वाले एक-एक विधायक की सरकार बनाने में अहम भूमिका रहेगी। कांग्रेस जहां अपने जीतने वाले विधायकों को सीधे राजस्थान रवाना करने की रणनीति बना चुकी है, वहीं भाजपा सभी निर्दलीयों और बसपा को साधने में लगी हुई है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय महामंत्री कैलाश विजय वर्गीय ने जिताऊ सभी निर्दलीयों से समर्थन को लेकर पूरी बात कर ली है।

दिल्ली से पहुंचे भाजपा के जोड़-तोड़ के धुरंधर माने जाने वाले केंद्रीय मंहामंत्री कैलाश विजय वर्गीय कई दिनों से यहां डेरा डाले हुए है। सूत्रों के अनुसार कैलाश विजय वर्गीय हर जीतने वाले निर्दलीय प्रत्याशी से बात कर चुके हैं। इस मामले में भाजपा कांग्रेस से दो कदम आगे चल रही है। कांग्रेस का एक भी ऐसा नेता दून नहीं पहुंचा है और पार्टी के अपने ही कई विधायक भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस जीतने वाले सभी विधायकों को कल 10 मार्च को सीधे राजस्थान रवाना करने वाली है। उत्तराखंड में बहुमत का आंकड़ा पाने के लिए हर पांच साल बाद भाजपा और कांग्रेस ही बड़े दलों के रूप में चुनावी मैदान में रहे हैं, लेकिन खंडित जनादेश आने पर निर्दलीयों और अन्य छोटे दल के जीतने वाले प्रत्याशियों की भूमिका अहम हो जाती है। पार्टी को समर्थन देने के एवज में ये माननीय अपनी शर्त के अनुसार मंत्री पद से लेकर तमाम तरह की डिमांड भी सामने रखते हैं। अंदरूनी सूत्रों की मानें तो जोड़-तोड़ करने में माहिर केंद्रीय महामंत्री कैलाश विजय वर्गीय की उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने के करीब समझे जा रहे निर्दलियों से बात कर चुके हैं।

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अब यह तो आने वाले 10 मार्च को सामने आ ही जाएगा कि किस दल को कितना बहुमत मिलता है और कौन सा निर्दलीय और कौन-कौन से छोटे-छोटे दलों के प्रत्याशी इस चुनावी दंगल में अव्वल साबित होते हैं, लेकिन सियासी गोटियां बिछ चुकी हैं। शह और मात का खेल चल रहा है जो नई सरकार के गठन तक जारी रहेगा। दोनों ही पार्टियों में सीएम पद को लेकर भी असंमजस की स्थिति बन सकती है। हालांकि भाजपा पहले से ही वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सीएम चेहरा बताती रही है। दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं। सभी नेताओं को एकजुट होकर चुनाव जीतकर आने की ही रणनीति कांग्रेस पहले से लेकर चल रही है। दोनों ही दलों में अंदरूनी गुटबाजी भी अक्सर चरम पर देखी जाती रही है। अब देखना होगा कि प्रदेश का अगला मुखिया कौन बनता है और किस दल की सरकार के साथ ही कौन-कौन मंत्रीमंडल में शामिल होने में कामयाब रहते हैं।