/ Jun 10, 2025

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राज्य की लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य का होगा डिजिटलीकरण, सीएम धामी ने दिए निर्देश

UTTARAKHAND FOLK: उत्तराखंड की लोक भाषाओं, बोलियों, लोकगीतों और लोक कथाओं को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ी पहल की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा और प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए जिनका उद्देश्य उत्तराखंड की भाषाई और साहित्यिक विरासत को आगे बढ़ाना है।

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UTTARAKHAND FOLK: ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की बोलियों और साहित्य का डिजिटलीकरण करने के निर्देश दिए। इसके लिए एक ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाएगी ताकि लोग राज्य के समृद्ध साहित्य को डिजिटल रूप में भी पढ़ सकें।मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की लोक कथाओं पर आधारित संकलन तैयार किए जाएं और उन पर ऑडियो-विजुअल सामग्री बनाई जाए ताकि नई पीढ़ी भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ सके। उन्होंने स्कूलों में सप्ताह में एक दिन स्थानीय बोली भाषा पर भाषण, निबंध और अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित करने के निर्देश दिए ताकि छात्रों को अपनी मातृभाषा से जुड़ाव बढ़े।

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उत्तराखंड सरकार राज्य की भाषाओं और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए एक भव्य महोत्सव आयोजित करेगी, जिसमें देशभर के साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा। सभी स्थानीय बोलियों का एक भाषाई मानचित्र तैयार किया जाएगा, जिससे यह पता चलेगा कि कौन-सी बोली राज्य के किस क्षेत्र में बोली जाती है। उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की राशि बढ़ाकर ₹5,51,000 कर दी गई है, और दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए ₹5,00,000 का नया सम्मान शुरू किया जाएगा। राज्य के युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘युवा कलमकार प्रतियोगिता’ होगी, जिसमें 18 से 24 और 25 से 35 वर्ष के दो आयु वर्ग शामिल होंगे।

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जौनसार बावर क्षेत्र की पारंपरिक पंडवाणी गायन शैली ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए उसका अभिलेखीकरण किया जाएगा। गोविंद बल्लभ पंत का समग्र साहित्य और उत्तराखंड के साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पहले विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य भी संकलित किया जाएगा। उच्च हिमालयी और जनजातीय भाषाओं के अध्ययन और संरक्षण हेतु शोध परियोजनाएं चलाई जाएंगी। साथ ही, राज्य में दो ‘साहित्य ग्राम’ स्थापित किए जाएंगे, जहां प्रकृति के बीच साहित्यकारों के लिए चर्चा, गोष्ठी और रचनात्मक गतिविधियों की सुविधा होगी।

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