/ Apr 18, 2025
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UTTARAKHAND FARMING POLICY: उत्तराखंड सरकार अब किसानों को पारंपरिक खेती के बजाय नकदी फसलों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसी कड़ी में राज्य कैबिनेट ने हाल ही में तीन अहम योजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें उत्तराखंड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी, कीवी पॉलिसी और ड्रैगन फ्रूट की खेती की योजना शामिल है। इन तीनों योजनाओं से कुल मिलाकर राज्य के 3 लाख 17 हजार से ज्यादा किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। योजना के अंतर्गत हर साल प्रत्येक विकासखंड में अच्छे प्रदर्शन करने वाले दो किसानों या किसान समूहों को पुरस्कार भी मिलेगा।
मिलेट्स पॉलिसी के तहत राज्य सरकार ने वर्ष 2030-31 तक 11 पहाड़ी जिलों के लिए कुल 134.89 करोड़ रुपये की कार्ययोजना पर मुहर लगाई है। इस योजना के तहत मंडुआ, झंगोरा, रामदाना, चीना और कौणी उगाने वाले किसानों को बीज और जैविक खाद पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा जो किसान पंक्ति बुवाई करेंगे उन्हें 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर और जो सीधी बुवाई करेंगे उन्हें 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही हर विकासखंड स्तर पर एक मिलेट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी और राज्य में श्रीअन्न फूड पार्क भी स्थापित किया जाएगा।
कीवी पॉलिसी के तहत राज्य सरकार ने 2030-31 तक कीवी के बाग लगाने के लिए 12 लाख रुपये प्रति एकड़ की कुल लागत पर 70 प्रतिशत सरकारी सहायता देने की योजना बनाई है। इस योजना में 30 प्रतिशत अंशदायित्व किसानों का होगा। यह नीति हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर को छोड़कर राज्य के शेष 11 जिलों में लागू होगी। इस नीति के अंतर्गत 894 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है और 3500 हेक्टेयर भूमि पर कीवी की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे करीब 17,500 किसानों को लाभ मिलेगा। राज्य में लगभग 683 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवी की खेती हो रही है, जिससे करीब 382 मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती योजना के अंतर्गत राज्य सरकार ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून और टिहरी जिलों में इस फल की वैज्ञानिक विधि से खेती को बढ़ावा देगी। इस योजना पर वर्ष 2027-28 तक कुल 15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना से 450 किसानों को लाभ मिलेगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार ड्रैगन फ्रूट की बागवानी के लिए 8 लाख रुपये प्रति एकड़ की लागत पर 80 प्रतिशत सहायता राज्य सरकार देगी और 20 प्रतिशत खर्च किसानों को वहन करना होगा। फिलहाल राज्य में लगभग 35 एकड़ क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है, जिससे करीब 70 मीट्रिक टन उत्पादन होता है।
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