/ Nov 25, 2025
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UTTARAKHAND DISABILITY QUOTA FRAUD: उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने दिव्यांग आरक्षण के तहत नियुक्त हुए 14 प्रवक्ताओं को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विभाग ने इन्हें 15 दिनों के भीतर अपने दिव्यांग प्रमाणपत्रों और संबंधित चिकित्सीय रिपोर्टों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि निर्धारित समय सीमा में जवाब न मिलने पर विभाग एकतरफा कार्रवाई करने के अधिकार का प्रयोग करेगा। यह कदम राज्य चिकित्सा परिषद की उस जांच के बाद उठाया गया, जिसमें इन नियुक्तियों के लिए इस्तेमाल किए गए कई प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए थे।
राज्य में यह मामला वर्ष 2022 से चर्चा में है, जब राज्य चिकित्सा बोर्ड ने शिक्षा विभाग में दिव्यांग कोटे के तहत हुई 52 नियुक्तियों की पुन: जांच की थी। बोर्ड की जांच में केवल 13 नियुक्तियों को ही वैध पाया गया, जबकि 39 मामलों में या तो दस्तावेजों में गंभीर विसंगतियां थीं या संबंधित उम्मीदवार पुन: परीक्षण के लिए ही उपस्थित नहीं हुए। स्वास्थ्य महानिदेशक ने 21 मार्च 2022 और 18 अप्रैल 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंपकर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश भी की थी, लेकिन विभाग ने लंबे समय तक कोई कदम नहीं उठाया।

इस पूरे प्रकरण की शुरुआत राष्ट्रीय अंधजन फेडरेशन (उत्तराखंड चैप्टर) द्वारा दायर जनहित याचिका से हुई। याचिका में आरोप लगाए गए थे कि कई कर्मचारी ‘दृष्टिबाधित’ श्रेणी के आरक्षण का अनुचित लाभ उठा रहे हैं, जिससे वास्तविक दिव्यांग उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन हो रहा है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई में राज्य दिव्यांगजन आयुक्त को निर्देश जारी किए। आयुक्त ने 22 नवंबर 2025 को मामले की सुनवाई कर प्रभावित शिक्षकों की सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई, जिसके बाद विभाग ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू की।(UTTARAKHAND DISABILITY QUOTA FRAUD)
जिन 14 प्रवक्ताओं को नोटिस भेजा गया है, वे देहरादून, पौड़ी और टिहरी जिलों में कार्यरत हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने इन सभी को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी किए हैं। इसके साथ ही गढ़वाल मंडल में 29 एलटी शिक्षकों को भी डिवीजनल डिप्टी डायरेक्टर कंचन देवराड़ी ने नोटिस भेजे हैं, जबकि उत्तरकाशी जिले के एक प्राचार्य को भी इसी तरह की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर विभाग ने 51 से अधिक शिक्षकों को जांच के दायरे में लिया है, जिनमें 37 सहायक शिक्षक (एलटी) शामिल हैं। सभी कर्मचारियों को अपने दस्तावेजों की प्रामाणिकता साबित करनी होगी।

विभाग ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि नोटिस की सेवा की स्थिति तीन दिनों के भीतर मुख्यालय को भेजी जाए। 24 नवंबर 2025 तक नोटिस वितरण अभियान तेज गति से जारी रहा और 25 नवंबर तक अधिकांश प्रभावित कर्मचारियों को नोटिस मिल चुके थे। हाईकोर्ट ने 19 नवंबर 2025 की सुनवाई में शिक्षा निदेशक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होने का आदेश दिया था तथा मामले की विस्तृत जांच के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर 2025 को निर्धारित है।(UTTARAKHAND DISABILITY QUOTA FRAUD)

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