दिल्ली,ब्यूरो : सऊदी अरब ने एशियाई खरीदारों के लिए कच्चे तेल की कीमतों में अनुमान से ज्यादा इजाफा कर दिया है। बता दें कि सऊदी अरब दुनियाभर में तेल का सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला देश है। ऐसे में सवाल है कि सऊदी अरब ने क्यों ऐसा फैसला लिया है। दरसअल सऊदी अरब ने जुलाई महीने के लिए कच्चे तेल की कीमतों में यह बढ़ोतरी गर्मियों में तेल की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए की है। सऊदी अरब ने ये फैसला लेकर भारत को बड़ा झटका दिया है। क्योंकि भारत सऊदी अरब से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है।
बता दें कि जुलाई महीने में एशियाई देशों के लिए सऊदी अरब ने जून की तुलना में 2.1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी की है। ज्यादातर बाजार विश्लेषकों की माने तो कच्चे तेल की कीमत अनुमान से बहुत ज्यादा है। ज्यादातर विश्लेषकों ने कच्चे तेल की कीमत में लगभग 1.5 डॉलर की बढ़ोतरी का अनुमान जताया था। लेकिन सऊदी अरब ने सभी के अनुमान के उलट 2.1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी की है।
दुनिया में तेल की सबसे बड़ी कंपनी सऊदी अरामको ने यह बढ़ोतरी की है। वहीं रूस, अंगोला और नाइजीरिया जैसे ओपेक प्लस के सदस्य देशों के लिए तेल के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल लग रहा है। माना जा रहा है कि ओपेक प्लस देशों को जुलाई और अगस्त में तेल के उत्पादन के लक्ष्यों तक पहुंचने में समस्या आ सकती है। हालांकि भारत और चीन लगातार रूस का तेल खरीद रहे हैं। इन देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उसके खिलाफ कोई भी प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था। ये भी पढ़े-टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर थी ये खिलाड़ी, फिर विश्व रिकॉर्ड किया अपने नाम
बता दें कि ओपेक प्लस देशों के समूह ने पिछले हफ्ते ही बैठक की थी। जहां इस बैठक के बाद कहा गया था कि रूस के तेल की भरपाई के लिए ओपेक देश तेल उत्पादन बढ़ाएंगे। वहीं ओपेक के फैसले के तुरंत बाद सऊदी अरब ने ऐलान कर दिया कि वो एशिया और यूरोप के अपने ग्राहकों के लिए जुलाई महीने में कच्चे तेल के दाम में इजाफा करेगा। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इतना इजाफा क्यों किया गया है और सऊदी अरब ने क्यों ऐसा फैसला लिया है। कहीं न कहीं इसे फैसले ने भी भारत को बड़ा झटका दिया है। ये भी पढ़े-UP के डिप्टी CM केशव प्रसाद समेत इन 9 नेताओं को भाजपा ने बनाया MLC प्रत्याशी