रूस कभी भी परमाणु हथियार उठाकर मचा सकता है तबाही, दोनों देशों की बातचीत बेनतीजा

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नई दिल्ली, ब्यूरो। ‘‘बाहर का जो कोई भी अगर हस्तक्षेप करने की सोचेगा। अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे ऐसे परिणाम भुगतने होंगे, जो उसने कभी इतिहास में नहीं देखा होगा।’’ रूस के राष्ट्रपति के कुछ दिन पहले दिए गए ये बयान से तो कम से कम यही लग रहा है कि वह किसी भी समय परमाणु हथियार उठाकर तबाही मचा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध की इसे शुरूआत कहा जा सकता है। नाटो देश जहां रूस पर दबाव बनाने की अप्रत्यक्ष कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा वह यूक्रेन को मदद भी कर रहे हैं, लेकिन खुले तौर पर कोई भी देश यूक्रेन और रूस की लड़ाई के बीच नहीं आ रहा है।

आज रूस और यूक्रेन के उच्च अधिकारियों के बीच बेलारूस में कई घंटों की समझौता बातचीत भी किसी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। ऐसे में अगले 24 घंटे यूक्रेन पर भारी पड़ने वाले हैं। रूस फिलहाल यूक्रेन में फंसे अलग-अलग देशों और खुद अपने देश के लोगों को वहां से बाहर निकालने के बाद ऐसा बड़ा कदम उठा सकता है। अगर ऐसा कदम ब्लादिमिर पुतिन ने उठाया तो यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरूआत कही जा सकती है। पुतिन युद्ध से पहले टेलीविजन संबोधन में सिर्फ क्रेमलिन के नेता की तरह नहीं बल्कि इस ग्रह के सर्वेसर्वा के तौर पर बर्ताव कर रहे थे. जैसे गाड़ी का मालिक अपनी उंगलियों में चाबी के छल्ले को घुमाता है, पुतिन उसी तरह परमाणु बटन घुमा रहे थे। उन्होंने कई बार कहा है, ‘‘अगर रूस नहीं रहेगा, तो फिर हमें इस ग्रह की क्या जरूरत? किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन ये बहुत बड़ा खतरा है कि अगर रूस के साथ वैसा बर्ताव न किया जाए, जैसा वो चाहता है तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा।’’

आपको बता दें कि साल 2018 में आई एक डॉक्यूमेंट्री में राष्ट्रपति पुतिन ने टिप्पणी की थी कि ‘‘…अगर कोई रूस का सफाया करने का फैसला करता है तो हमें जवाब देने का कानूनी अधिकार है। हां, ये मानवता और दुनिया के लिए आपदा होगी, लेकिन मैं रूस का नागरिक हूं और इस देश का राष्ट्रपति भी। हमें ऐसी दुनिया की जरूरत क्यों है जिसमें रूस न हो?’’

अब 2022 की बात करें तो पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ पूरी क्षमता के साथ जंग छेड़ दी है, लेकिन यूक्रेन के सशस्त्र बल भी कड़ा प्रतिरोध कर रहे हैं। क्रेमलिन को चैंकाते हुए, उसकी अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने के इरादे से संभावित प्रतिबंधों को लेकर पश्चिमी देश भी एकजुट हो गए हैं। इसके बाद ये संभव है कि पुतिन के सिस्टम का अस्तित्व ही खतरे में आ गया हो। मॉस्को स्थित रक्षा विशेषज्ञ पॉवेल फलगनहॉर का मानना है, ष्पुतिन मुश्किल स्थिति में हैं। उनके पास अब ज्यादा विकल्प नहीं बचे। एक बार पश्चिमी देश रूस के सेंट्रल बैंक की संपत्तियों को फ्रीज कर देंगे और रूसी वित्तीय प्रणाली चरमरा जाएगी, तो इससे पूरी व्यवस्था बेकार हो जाएगी।’’

अब देखना होगा कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही यह लड़ाई विश्व को तीसरे महायुद्ध में झोंकती है या फिर इन दोनों देशों के बीच किसी तरह आपसी समझौता होता है। अगले एक-दो दिन यूक्रेन के साथ ही नाटो देशों के ऊपर भी भारी गुजरने वाले हैं। ऐसा नहीं है कि रूस का नुकसान या हालत पस्ता नहीं हुई है, फिर भी वह पीछे हटने को तैयार नहीं है।