पूर्व मंत्री हरक की करीबी दमयंती रावत पर शिकंजा, बिना अनुमति जारी किए 20 करोड़

0
221

उत्तराखंड शासन ने जांच के लिए गठित की तीन सदस्यीय समिति, 22 सितंबर 2021 को जारी किया गया था कारण बताओ नोटिस

देहरादून, ब्यूरो। अक्सर विवादों में छाए रहने वाले हरक सिंह रावत के कुछ दिनों बाद फिर सुर्खियों में हैं। हरक सिंह रावत अब न विधायक हैं और न ही मंत्री या कांग्रेस के किसी बड़े पद की कमान सम्भाले हैं फिर भी वह अपने पुराने कामों के लिए सुर्खियों में हैं। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव रही शिक्षा विभाग की बीईओ दमयंती रावत पर उत्तराखंड शासन ने जांच बिठा दी है। आरोप है कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव व खंड विकास अधिकारी दमयंती रावत ने शासन से बिना प्रशासनिक अनुमति और वित्तीय स्वीकृति के 20 करोड़ की धनराशी पास की है। कोटद्वार में मेडिकल काॅलेज की गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना के पक्ष में बिना प्रशासनिक अनुमति के कर्मचारी राज्य बीमा योजना को 20 करोड़ लोन के रूप में ट्रांसफर किए थे।

उत्तराखंड शासन के सचिव रविनाथ रमन ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए बताया कि बीईओ दमयंती रावत उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड देहरादून में सचिव के पद पर कार्यरत थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना के पक्ष में बिना सक्षम प्राधिकारी व प्रशासनिक अनुमति के कर्मचारी राज्य बीमा योजना को ऋण के रूप में 20 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए। सचिव के अनुसार दमयंती ने ऐसा कर वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया है। इस मामले में दमयंती को 22 सितंबर 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। दमयंती ने इस पर अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए सभी आरोपों को अस्वीकार किया है।

DAMYANTI RAWAT AND HARAK SINGH

सचिव रविनाथ रमन ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। श्रम आयुक्त संजय कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति में वित्त नियंत्रक विद्यालयी शिक्षा मोहम्मद गुलफाम अहमद एवं उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरेराम यादव को शामिल किया गया है। समिति से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। बता दें कि उत्तराखंड के शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) दमयंती रावत का विवादों से नाता जुड़ा रहा है। दमयंती को लेकर पूर्व में मंत्री रहे हरक सिंह रावत और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे आमने सामने आ गए थे। शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना उन्हें कर्मकार बोर्ड का अपर सीईओ बना दिया गया था। उस दौरान शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने इस पर नाराजगी जताई थी। इसके साथ ही पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के बीच भी दमयंती रावत को लेकर विवाद हो चुका है। अब इस वित्तीय अनियमितता के गंभीर मामले को लेकर शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की ओर से जो जांच समिति बनाई है। इस समिति में उप शिक्षा निदेशक हरेराम यादव को जांच अधिकारी बनाया गया था, लेकिन हरेराम यादव का कहना है कि वह 30 जून को रिटायर्ड हो चुके हैं और अब भी जांच समिति में शामिल हैं, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

कहीं न कहीं सत्ता से बाहर रहने पर हरक सिंह रावत की करीबियों पर शासन के साथ ही अन्य नेता भी शिकंजा कसने के लिए माहौल तैयार कर रहे हैं। इससे पहले भी देहरादून के सहस्त्रधारा रोड स्थित एक जमीन पर नगर निगम की ओर से एनओसी एमडीडीए को देने के मामले में हरक सिंह रावत की एक और करीबी महिला गायक सोनिया आनंद और मेयर सुनिल उनियाल गामा की जुबानी जंग और विवाद चर्चाओं में रहा है। हालांकि नगर निगम ने सोनिया आनंद की एक न सुनी और सहस्त्रधारा रोड पर नगर निगम की जमीन पर किया गया कब्जा तुड़वाया गया। यहां पर एक निजी पार्क बना दिया गया था जिसके बाद एनओसी किसी संस्था की बजाय एमडीडीए को नगर निगम ने दे दी थी। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हरक सिंह रावत के सत्ता से बाहर रहने के बाद उनके करीबियों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है।