चमोली ( पुष्कर सिॆंह नेगी) : यूं तो पूरी दुनिया में कशमीर को जन्नत कहा जाता है, लेकिन चमोली में स्थित फूलों की घाटी भी किसी जन्नत से कम नहीं है। समुद्रतल से 12 हजार 995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। प्रकृति की इस अद्भुत खूबसूरती का आज से पर्यटक आनंद ले सकते हैं।
इस घाटी का पौराणिक इतिहास भी काफी रोचक है, आपको रामायण और महाभारत में भी फूलों की घाटी का उल्लेख मिल जाएगा। मान्यता है कि फूलों की घाटी से ही हनुमान जी भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण की जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे। हालांकि एक ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ ने फूलों की घाटी की खोज की थी। कहा जाता है कि 1931 में स्मिथ कामेट पर्वत आरोहण के दौरान रास्ता भटक गए थे, तब वो गलती से इस क्षेत्र से गुजरे। और यहां से वापस अपने देश लौटने पर उन्होने ‘वैली ऑफ फ्लावर’ पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होने फूलों की घाटी के अपने अनुभवों का जिक्र किया। और इसी के बाद पूरी दुनिया ने प्रकृति के इस अनोखे तोहफे को जाना।
चमोली जिले में बसी विश्व धरोहर फूलों की घाटी का दीदार करने लोग दूर-दूर से आते हैं, इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। घाटी में कई विशेष तरह की प्रजातियां हैं, आप यहां दुर्लभ और विदेशी हिमालयी वनस्पतियों का दीदार कर सकते हैं। घाटी में 300 से भी ज्यादा फूलों की प्रजातियां हैं, जो इसे अपने-आप में बेहद खास बनाता है। फूलों की घाटी में आप उत्तराखंड का राज्य फूल यानी ब्रहृम कमल का भी दीदार कर सकते हैं। घाटी में जाते वक्त रास्ते में आप कई पुल, ग्लेशियर और झरने की खूबसूरती का भी आंनद ले सकते हैं।
आपको शायद जानकार हैरानी हो कि इस घाटी में हर 15 दिनों में अलग रंग के फूल नजर आते हैं। वहीं घाटी में रात्रि विश्राम के लिए किसी को भी अनुमति नहीं है। घाटी का दीदार कर पर्यटकों को दोपहर के बाद वापस लौटना पड़ता है। हर साल फूलों की घाटी एक जून को खुलती है,और 31 अक्टूबर को बंद कर दी जाती है। आज पहले दिन 75 पर्यटकों को घाटी के लिए रवाना किया गया है। घाटी में इस समय 12 से भी ज्यादा प्रजाति के फूल खिले हुए हैं। बता दें कि फूलों की घाटी पहुंचने के लिए आपको गोविंदघाट से होकर गुजरना पड़ता है, जिसके लिए आपको 16 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा।