/ Sep 03, 2025
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PITRU PAKSHA 2025: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। यह वह अवधि है जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार से हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर 2025, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगा। वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर को रात 1:41 बजे शुरू होगी और उसी दिन रात 11:38 बजे समाप्त होगी। इसी समय से पितृपक्ष की विधिवत शुरुआत होगी।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के 15 दिनों में पितर पृथ्वी पर अपने वंशजों के पास आते हैं। इस अवधि में श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को सुख, समृद्धि और वंशवृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक ग्रंथों और लोगों की आस्था के अनुसार यदि पितर नाराज हो जाते हैं तो परिवार में बाधाएं और कष्ट उत्पन्न हो सकते हैं। इस समय मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नई वस्तुओं की खरीदारी को अशुभ माना जाता है। मांस, मदिरा तथा तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। साथ ही जीव-जंतुओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि पितर कभी-कभी उनके रूप में भी धरती पर आते हैं।
पितृपक्ष में श्राद्ध मृत्यु तिथि के अनुसार किया जाता है। यदि मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो सर्वपितृ अमावस्या को सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। इस वर्ष पूर्णिमा श्राद्ध 7 सितंबर को, प्रतिपदा श्राद्ध 8 सितंबर को, द्वितीया श्राद्ध 9 सितंबर को, तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध 10 सितंबर को, पंचमी श्राद्ध और महा भरणी 11 सितंबर को, षष्ठी श्राद्ध 12 सितंबर को, सप्तमी श्राद्ध 13 सितंबर को, अष्टमी श्राद्ध 14 सितंबर को, नवमी श्राद्ध या मातृ नवमी 15 सितंबर को, दशमी श्राद्ध 16 सितंबर को, एकादशी श्राद्ध 17 सितंबर को, द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर को, त्रयोदशी या मघा श्राद्ध 19 सितंबर को, चतुर्दशी श्राद्ध 20 सितंबर को और सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी।
इनमें नवमी श्राद्ध 15 सितंबर को होगा जिसे मातृ नवमी कहा जाता है। इस दिन परिवार की दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, विशेषकर उन महिलाओं का जिनकी मृत्यु सुहागिन अवस्था में हुई हो। पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन सर्वपितृ अमावस्या है जो 21 सितंबर 2025 को पड़ेगी। इस दिन ज्ञात और अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत और समापन दोनों ग्रहण के साए में होंगे। 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई देगा और 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा जो भारत में दिखाई नहीं देगा।
PITRU PAKSHA 2025 के दौरान पितरों के नाम, गोत्र और मृत्यु तिथि का उच्चारण करते हुए तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। तर्पण जल, तिल और कुशा से दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया जाता है। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना पुण्यकारी माना गया है। जरूरतमंदों को कपड़े, तिल, घी, गुड़ या धन का दान करना भी श्रेष्ठ माना जाता है। इस समय घर में शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना जरूरी है। सात्विक भोजन करें और तामसिक वस्तुओं से दूर रहें। पितृ दोष से मुक्ति और पितरों की कृपा पाने के लिए पितृ सूक्त या गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना लाभकारी माना गया है।
नोट: यह जानकारी वैदिक पंचांग और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। धार्मिक मान्यताओं का पालन व्यक्तिगत आस्था पर निर्भर करता है। विस्तृत जानकारी के लिए विद्वान पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित है।
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