लोग क्यों कहते थे पद्मश्री विजेता गुलाबो सपेरा को डायन?

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देहरादून ब्यूरो। वो बच्ची जिसे पैदा होते ही जमीन में जिंदा गाढ़ दिया गया। ये बच्ची पांच घंटे तक जमीन के अंदर ही रही मगर इसकी सांसे चलती रही। शायद धरती मां को इस बच्ची की मासूमित से प्यार हो गया था। या फिर धरती मां ने इस बच्ची की मां की भावनाओं को भांप लिया हो और इंतज़ार कर रही हो कि उसकी मां आए और अपनी बच्ची को लेकर जाए। और ऐसा ही हुआ उसकी मां और मौसी रात के घनघोर अंधेरे में आए और अपनी बच्ची को लेकर चले गए। जब ये बच्ची 6 साल की हुई तो इसकी शादी एक 35 साल के आदमी के साथ करा दी गई। इस बच्ची को काफी प्रताड़नाओं से गुज़रना पड़ा मगर फिर भी इसने हार न मानी और बड़े होकर इसने ऐसा इतिहास रचा कि इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

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ये कहानी है गुलाबो सपेरा की जिनका जन्म 1973 को हुआ और जन्म होते ही उन्हें जमीन में जिंदा ही गाढ़ दिया गया वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकी उन्होंने एक लड़की के रूप में जन्म लिया था। लेकिन एक मां के प्रेम से उसकी बच्ची की सांसे ज़मीन के अंदर भी चलती रहीं। गुलाबो सपेरा का असल नाम है धनवंती। इनका नाम ये इसलिए पड़ा क्योंकी इनका जन्म धनतेरस वाले दिन हुआ था। इस शुभ दिन में जन्मी धनवंती को उसके कबीले के लोगों ने बेरहमी से दफना दिया मगर नीयती को तो कुछ और ही मंज़ूर था। धनवंती की मां को ये तक मालूम न था कि उसको लड़का हुआ है या लड़की। जब उस मां ने अपने बच्चे के बारे में पूछा तो लोगों ने उन्हें कहा कि फिरसे लड़की हुई है उसे हम दफना आए हैं। भूल जा की तेरे पेट में कोई बच्चा भी था। भूल जा ये नौ महीने। मगर एक मां कैसे अपने गर्भ में पले अपने बच्चे को भूल सकती थी। उसने लोगों से खूब गुहार लगाई कि मुझे बता दो कि मेरी बच्ची को कहा दफनाया है मै खुद निकाल कर ले आउंगी। मगर सभी गावों वालों ने उसे चुप चाप अंदर जाने को कहा। हताश धनवंती की मां का साथ देने के लिए उस दिन उसके पति भी घर पर नही थे। जिसके बाद धनवंती की मौसी ने उसकी मां से कहा कि मुझे मालूम है कि बच्ची को कहा दफनाया है और हम रात को बच्ची को बाहर निकालने के लिए चलेंगे। धनवंती की मौसी के मन में एक प्रश्न चल रहा था कि क्या बच्ची जिंदा होगी और उसने अपनी बहन से ये पूछ भी डाला जिसके बाद बच्ची की मां ने कहा मुझे पूरा यकीन है कि मेरी बच्ची की सांसे चल रही होगीं। जिसके बाद वो दोनों रात को गईं और बच्ची को जमीन से निकाल कर ले आई जिसके बाद एक मां का विश्वास जीता और धनवंती जीवित बाहर निकल आई।

अगले दिन जब धनवंती के पिता वापिस लौटे और उन्हें इस बारे में पता चला तो उन्होंने अपने समाज के लोगों से काफी झगड़ा कया। लोगों ने उन्हें ये तक कहा कि 5-6 घंटे तक जमीन के अंदर रहने के बाद भी ये बच्ची कैसे बच सकती है। इसका मतलब है कि ये कोई चुड़ैल या भूतनी ही है जो 5 घंटों तक जमीन में गड़े रहने के बाद भी जिंदा है। इस बात का धनवंती के पिता ने एक खूबसूरत सा जवाब दिया कि जमीन से जिंदा तो धरती मां की बेटी भी आती है। इसका मतलब है कि मेरी बेटी धरती मां की बेटी है। काफी झगड़ा हुआ और कालबेलिया समुदाय के लोगों ने एक तरह से धनवंती और उसके परिवार का बहिष्कार कर दिया। अब जैसे जैसे धनवंती बड़ी हो रही थी उसकी मां को ये चिंता सता रही थी कि कहीं उनके कबीले के लोग फिरसे उनकी बेटी को कोई नुकसान न पहुचांए। क्योंकी कबीले के लोगों का कहना था कि एक मुर्दा बच्ची को जमीन से निकालकर बाहर लाएं हैं वो अब भी इस बच्ची को चुड़ैल ही समझ रहे थे तो वो इस बच्ची को किसी भी हालत में खत्म करना चाहते थे ताकी उनकी कबीले के ऊपर लगे इस कलंक को मिटाया जा सके। अब काम करना भी ज़रूरी था तो धनवंती के मां बाप ने इसका एक हल निकाला। धनवंती के पिता एक सपेरा थे, जो सांपों की एक टोकरी के साथ गांव-गांव घूमते थे। जिसमें वो इन सांपों को इस्तेमाल कर कई तरह के करतब दिखाया करते थे। वो सांपों को हिप्नोटाइज भी किया करते थे। अपनी बेटी की जान बचाने के लिए धनवंती के पिता ने उसे अपने साथ लेजाना शुरू कर दिया। इस समय तक धनवंती 6 महीने की भी पूरी न हुई थी जब वो अपनी बच्ची को अपने साथ काम पर लेजाने लगे। वो छोटी सी बच्ची सांपों के साथ पुंगी की धुन पर थिरकती और उनकी तरह नकल करती। धनवंती के पिता उसे गुलाबो कहकर बुलाते थे। वो इसलिए क्योंकी धनवंती एकदम गोरी चिट्टी थी और इनके गाल गुलाबी रंग के थे जिसके बाद से उनके पिता उन्हें गुलाबो कहने लगे। जब गुलाबो दो साल की हुई तो वो एकदम बढ़िया तरीके से नाचने लगी थी।

कालबेलिया समाज के लोग सिर्फ सांप नचाने का काम करते थे वो कोई नाच नही किया करते थे। मगर इस छोटी सी बच्ची ने सांपों के साथ बीन में नाचना शुरू किया जिसके बाद लोग इस बच्ची का ये नाच खूब पसंद करने लगे। और इनके समुदाय के लोग वैसे तो इस बच्ची को पसंद नही किया करते थे लेकिन पैसा कमाने के लिए इसे अपने साथ कहीं कहीं नचाने लेजाया करते थे। गुलाबो सपेरा बतातीं हैं कि 1981 में एक मेला लगा जिसमें ये औरतें एक बार फिरसे गुलाबों को नचाने के लिए लेकर गईं। जब जलाबो नाच रही थी तो इनका नाच देख रहे लोग इनके सामने पैसे फेंक रहे थे और इसी दौरान Tourism department की त्रिप्ती पांडे ने इनका डांस देखा। उन्हें गुलाबो का डांस इतना पसंद आया कि उन्होंने गुलाबो को अगले दिन फिरसे आने को कहा। अब गुलाबो को जो औरतें लेकर गईं थी अगले दिन उन्होंने पूरे दिनभर मेले में गुलाबो से डांस करवाया और शाम होते ही जब tourism department के सामने डांस करना था तो उसे नही लेकर गए क्योंकी उन्हें गुलाबो से जलन होने लगी थी कि कहीं वो किसी मुकाम तक न पहुंच जाए। जिसके बाद उन औरतों ने मेले में ही गुलाबो को एक जगह बैठा दिया और कहा यहां से हिलेगी नही। जिसके बाद जब tourism department की मैडम ने गुलाबो को वहां नही पाया तो उन्होंने कबीले की बाकी औरतों को कहा कि गुलाबो कहा है उसे लेकर आओ। मगर वो औरतें अजीबो गरीब बहाने बनाने लगीं लेकिन वो मैडम उन औरतों की जलन समझ चुकी थी और उन्होंने उन औरतों से कहा कि अगर गुलाबो डांस करने नही आ सकती तो तुम सब भी यहां से वापिस जाओ। जिसके बाद गुलाबो को वहां लाया गया गुलाबो ने डांस किया और उस समय गुलाबो को इनाम के तौर पर 50 रुपय का एक नोट दिया गया। जिसके बाद कबीले की औरतों ने कबीले में ये फैला दिया कि गुलाबो तो मंच में जाकर नाची जो कि उस समय अच्छा नही माना जाता था। इसके बाद पंचायत बैठी और उन्होंने कहा कि गुलाबो का डांस का भूत उतारने के लिए इसकी शादी करा दो जिसके बाद गुलाबो को पिता ने जब वो 6 साल की थी तो उसकी शादी 35 साल के एक आदमी के साथ करा दी। कालबेलिया समुदाय में जब किसी लड़की की शादी होती है तो उसके पति को 1 साल के लिए अपने ससुराल में ही रहना पड़ता है। इसी के मुताबिक गुलाबो का पति भी एक साल तक गुलाबो के घर पर ही रहा और उसने देखा कि ये लड़की तो हर वक्त नाचती ही रहती है जिसके बाद गुलाबो का पति उसे छोड़कर चला गया। इसके बाद फिरसे पंचायत बैठी और उसके परिवार को समाज से हमेशा हमेशा के लिए बाहर कर दिया गया।

फिर 15 दिन बाद Tourism Department ने रामबाघ होटल में अंग्रज़ों के लिए एक कार्यक्रम रखा जिसमें सपेरें सांपों को नचाते थे। अब कार्यक्रम में वो मैडम गुलाबो के बारे में पूछती है कि गुलाबो कहां है जिसके बाद इस समुदाय के लोग कहते हैं कि हमारा उससे कोई नाता नही है हम नही जानते उन्हें। जिसके बाद उस मैडम ने इन सपेरों को भी वहां से चले जाने को कह दिया। परेशान होकर वो लोग गुलाबो के पिता के पास गए और उन्हें कहा कि तुम्हारी बेटी की वजह से हमारे पेट पर लात पड़ गई तुम्हारी बेटी को मैडम जयपुर बुला रही है उसको वहां भेज दो अब पहले से ही परेशान गुलाबो के पिता ने उन लोगों को हाथ जोड़कर मना कर दिया लेकिन ये पूरी बात गुलाबो ने सुन ली जिसके बाद उसने ये बात अपने बड़े भाई को बताई और मैडम से जयपुर मिलने जाने की जिद्द की। अपनी बहन को रोता देख दोनों भाई बहन ने तय किया कि वो रात होते ही घर से भाग जाएंगे। रात करीबन एक बजे दोनों भाई बहन घर से भागकर जयपुर पहुंच जाते हैं। इनके पास देने को बस का किराया तक न था लेकिन जैसे तैसे बस कंडक्टर के हाथ पैर जोड़कर वो जयपुर पहुंच गए और उन मैडम को ढ़ूढ़ने लगे। इस दौरान अपना और अपनी बहन का गुज़ारा करने के लिए गुलाबो का भाई रिक्शा चलाया करता था। और एक दिन दोनों भाई बहन की महनत रंग लाई और उन्हें वो मैडम मिल गई। बस इसी के बाद से गुलाबो रूकी नही पहले उन्होंने राजिस्थान में अपना कालबेलिया डांस दिखाया फिर देश के अलग अलग शहरों में इस कालबेलिया डांस की प्रस्तूती दी फिर धीरे धीरे विदेशों में भी अपना ये नाच प्रसिद्ध किया और फिर कई बॉलीवुड फिल्मों में भी इन्हें देखा गया जैसे की ‘बंटवारा’, ‘गुलामी’ ‘क्षत्रिय’, ‘अजूबा’ आदि। यहां तक की गुलाबों रियालिटी शो बिग बॉस 5 में भी आ चुकीं है। इसके बाद साल 2016 में कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपना अतुलनीय योगदान देने के लिए इन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के अलावा भी इन्हें कई अवॉर्ड्स से सम्मानिता किया जा चुका है। उनकी बेटी राखी सपेरा भी उनकी इस कला को आगे ले जा रही हैं।