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हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की उम्र में चेन्नई में निधन

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MS SWAMINATHAN

UTTARAKHAND DEVBHOOMI DESK:1960 के दशक में भारत में ‘हरित क्रांति’ के जनक के रूप में पहचाने जाने वाले  MS SWAMINATHAN  का 98 साल की उम्र में आज यानि गुरुवार 28 सितंबर की सुबह को चेन्नई में स्वर्गवास हो गया। प्राप्त जानक्री के अनुसार स्वामीनाथन लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

MS SWAMINATHAN के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है। उनके अनुसार कृषि में स्वामीनाथन के अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए फूड सेफ्टी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

MS SWAMINATHAN
MS SWAMINATHAN

कौन थे MS SWAMINATHAN?

7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम नामक स्थान में स्वामीनाथन जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन था। स्वामीनाथन ने जूलॉजी और एग्रीकल्चर दो विषयों से स्नातक की थी। इसके बाद पौधों के जेनेटिक साइंटिस्ट के रूप में कार्य करना शुरू किया। उन्होंने देश में धान की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इस कार्य का सीधा फायदा  भारत के कम आय वाले किसानों को ज्यादा फसल पैदा करने में मिला।

MS SWAMINATHAN को मुख्यतः 1960 के अकाल के दौरान अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग और दूसरे कई वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं की उच्च पैदावार वाली किस्म (HYV) के बीज भी विकसित करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ हाइब्रिड करके हाईक्वालिटी वाले गेहूं के बीज विकसित किए थे।

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत स्वामीनाथन ने ही की थी

इसके साथ ही उनके विकसित किए केमिकल-बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजी के जरिए गेहूं और चावल की प्रोडक्टिविटी बढ़ाई गई। इसे भारत में हरित क्रांति के नाम से जाना गया और इसी हरित क्रांति की वजह से भारत अनाज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर आगे बढ़ पाया।

हरित क्रांति के चलते भारत में गेहूं और चावल के उत्पादन में भारी इजाफा देखने को मिला। भारत में नई किस्म के बीजों का इस्तेमाल किया गया। सिंचाई सुविधाएं बेहतर की गईं और कीटनाशक एवं उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाया गया। इसके परिमास्वरूप 1978-79 में भारत में 131 मिलियन टन अनाज पैदा हुआ। भारत को एक वक्त पर अनाज के लिए विदेशी मुल्कों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन हरित क्रांति की वजह से भारत एक कृषि उत्पादक देश बन गया।

MS SWAMINATHAN को मिले सम्मान और उपलब्धियां

MS SWAMINATHAN को 1971 में रेमन मैग्सेसे और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्मभूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में 1972 से 1979 तक और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में 1982 से 88 तक महानिदेशक रहे।

MS SWAMINATHAN

विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों के साथ प्राप्त धनराशि से एम. एस. स्वामीनाथन ने वर्ष 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों में ‘अवलंबनीय कृषि तथा ग्रामीण विकास’ के लिए चेन्नई में एक शोध केंद्र की स्थापना की। ‘एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन’ का मुख्य उदेश्य भारतीय गांवों में प्रकृति तथा महिलाओं के अनुकूल प्रौद्योगिकी के विकास और प्रसार पर आधारित रोजग़ार उपलब्ध कराने वाली आर्थिक विकास की रणनीति को बढ़ावा देना है।

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