Uttarakhand Devbhoomi Desk: आगामी 4 जुलाई 2023 से सावन माह की शुरुआत हो रही है। सावन के महीने में देवों के देव महादेव (Kanwar Yatra 2023) की धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान हर सावन के महीने में श्रद्धालु महादेव को खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। इसमें दूसरे राज्यों के कांवड़ यात्री देवभूमी पहुँचते हैं और गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। ऐसे में हरिद्वार सहित पूरी देवभूमि केसरिया रंग में नजर आती है।
Kanwar Yatra 2023: क्या है कांवड़ यात्रा का इतिहास?
ऐसी मान्यता है कि जब समुद्रमंथन के बाद निकले विष को पी कर भगवान शिव ने पूरी दुनिया की रक्षा की थी। इस तरह (Kanwar Yatra 2023) विषपान करने से उनका कंठ नीला पड़ गया था। ऐसा कहा जाता कहते हैं इसी विष के प्रभाव को ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। और इसी से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आपको बता दें कि कंधे पर गंगाजल लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने की परंपरा को ही कांवड़ यात्रा कहते हैं।
Kanwar Yatra 2023: कैसे बनती है कांवड़ (Kanwar)
बता दें कि कांवड़ बनाने के (Kanwar Yatra 2023) लिए बांस, फेविकोल, कपड़े, डमरू, फूल-माला आदि का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद कांवड़ को फूल-माला, घंटी और घुंघरू से सजाकर पिटारियों में रखा जाता है।
कांवड़ यात्रियों के लिए ये है नियम
- बिना नहाए कांवड़ को नहीं छूना
- तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग नहीं करना
- कांवड़ यात्री का एक-दूसरे को भोला या भोली कहकर बुलाना
- कांवड़ को जमीन से न छूना
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