Home देहरादून धू-धू जल रहे जंगल, विभाग बजा रहा चैन की बंसी; 1 एसीएफ...

धू-धू जल रहे जंगल, विभाग बजा रहा चैन की बंसी; 1 एसीएफ के हवाले 3 डिविजन

0

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होते ही जंगल जगह-जगह धू-धू कर जल रहे हैं। जंगली जानवर आग लगने के बाद जहां इंसानों की बस्ती की ओर रूख कर रहे हैं तो कई जीव जलकर आग स्वाहा भी हो रहे हैं। वन विभाग में अफसरशाही और लापरवाही इस कदर हावी है कि सात डिविजन में कोई अफसर यानी डीएफओ ही तैनात नहीं है। वन विभाग का हाल उस कहावत को चरितार्थ कर रहा है कि रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था। एक ही अफसर के पास तीन ऐसे डिविजन सौंपे गए हैं जो दो गढ़वाल के सुदूर उत्तरकाशी के डिविजन हैं और एक करीब 400 किमी दूर हल्द्वानी। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक ही अफसर कैसे जंगल में बेकाबू होती आग पर नियंत्रण कर पाएंगे हैं। एसीएफ बाबू लाल के पास तीन-तीन डिविजन के चार्ज दिए गए हैं। एक डिविजन भूमि संरक्षण डिविजन उत्तरकाशी एक तरफ है तो दूसरा टिहरी डैम-2 भागीरथी नदी से लगा है जबकि तीसरा डिविजन इतनी दूर है कि आप अंदाजा लगा सकते हैं एक ही अफसर इसे कैसे चला रहा है। तीसरा डिविजन कुमाऊं मंडल का हल्द्वानी डिविजन है। ऐसे में वनों में लग रही आग पर काबू कैसे पाया जा सकता है? इसके अलावा सुबोध काला के पास भी दो और अमरीश श्रीवास्तव के पास भी दो-दो डिविजन हैं। सुबोध के पास टौंन वन प्रभाग और और अपर यमुना वन प्रभाग जबकि अमरीश श्रीवास्तव के पास भूमि संरक्षण वन लैंसडौन और लैंसडौन वन प्रभाग की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा बीके सिंह, सर्वेश दुबे, चंद शेखर जोशी, लालता प्रसाद टम्टा के पास भी दो-दो डिविजन का चार्ज है।

aag jungle

दरअसल, वन विभाग के कुछ अफसरों की फाइल इन डिविजनों में तैनाती के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास गई थी, लेकिन दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद भी इन अफसरों को तैनाती नहीं मिल पाई। ऐसे में वनों में लग रही आग पर कैसे काबू पाया जा सकता है। वन विभाग के डिविजन ही बिना अफसरों के चल रहे हैं। सीएम के पास अप्रूव होने के लिए गई फाइल में कुछ ऐसे अफसरों के नाम भी थे जो एक-दो माह बाद रिटायर होने वाले थे, ऐसे में उनकी पदोन्नति भी खटाई में लटकी हुई है। वन विभाग हर साल लंबी-लंबी बैठकें और रणनीतियां वनों को आग से बचाने के लिए बनाता है, लेकिन विभाग के सात डिविजन बिना अफसरों के संचालित हो रहे हैं। वन विभाग के अफसरों को तैनात करने में भी अफसरशाही हावी दिख रही है। वन विभाग के सात डिविजन इनमें से तराई सेंटर डिविजन हल्द्वानी, लैंसडौन डिविजन लैंसडौन, अलकनंदा डिविजन गोपेश्वर, भूमि संरक्षण वन प्रभाग उत्तरकाशी, टिहरी डैम-1, टिहरी डैम-2 और अपर यमुना वन प्रभाग बड़कोट बिना अफसरों के संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई डिविजन ऐसे भी हैं जहां चारधाम यात्रा को लेकर भी महत्वपूर्ण फैसले लिए जाने हैं, लेकिन अफसर ही तैनात नहीं हैं तो ऐसे में डीएफओ स्तर के काम सफर हो रहे हैं। वन विभाग में अफसरशाही इस कदर हावी है कि उस कहावत को चरितार्थ करती है कि रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था। नई सरकार और नए मंत्री बनने के बाद भी विभाग के अफसरों को तैनाती न मिलना कहीं न कहीं लालफिताशाही नहीं तो और क्या है। जंगली जानवर आग से बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। जंगल की आग चंपावत डीएम आवास तक भी आ गई है। लापरवाही के इस आलम में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। दूर-दूर तक बारिश के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। मौसम विभाग ने भी सूरज की तपिश और बढ़ने की संभावना जताई है।

Exit mobile version