‘त्रिशंकु’ बने हरक, कांग्रेस में शामिल हुए तो कितने बदलेंगे समीकरण?

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हरक सिंह के कांग्रेस में आने से कई विधानसभाओं में पकने वाली है नमकीन और तीखी ‘सियासी खिचड़ी’

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड सियासत का तीन-चार दिन से केंद्र बिंदु बने हुए हरक सिंह रावत फिहलहाल त्रिशंकु की भूमिका में नजर आ रहे हैं। भाजपा ने तो उन्होंने निष्कासित कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें अपना सदस्य फिलहाल नहीं बनाया है। कांग्रेस में हरीश रावत डंडा लेकर खड़े हैं और उनसे पुरानी गलती के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कह रहे हैं। अब देखना होगा कि हरक माफी मांगते हैं या फिर हाईकमान उन्हें बिना माफी मंगवाए दल में शामिल करवाता है, लेकिन हरक के कांग्रेस में आने के बाद कई विधानसभा सीटों पर सियासी खिचड़ी पकने वाली है। कोई कांग्रेसी बगावत करेगा तो कोई उन पर सत्तालोलुप होने का आरोप लगाएगा।

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हरक सिंह रावत

आपको बता दें कि हरक सिंह रावत अपनी पुत्रबधु के लिए लैंसडौन से टिकट मांग रहे थे और खुद कोटद्वार की बजाय डोईवाला या केदारनाथ से। लेकिन भाजपा से निष्कासित होने और कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं के बीच अब हरक सिंह किस विधानसभा से चुनावी दंगल में उतरेंगे यह भविष्य के गर्भ में है। जो भी हो इससे कांग्रेस को फायदा होना लाजिमी है और भाजपा को चुनाव से ऐन वक्त पहले नुकसान। उत्तराखंड की सियासत में तीन दशकों से भी अधिक समय से सक्रिय हरक सिंह रावत गाहे-बगाहे अपनी रूदाली और पावर पाॅलटिक्स के लिए सुर्खियों में रहे हैं। कहीं न कहीं हरक सिंह रावत भाजपा में रहते हुए खुद को असहज महसूस कर रहे थे। उन्होंने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में यह खुद स्वीकारा है और अपनी कई पत्नियां होने के आरोपों को खारिज करते हुए सिर्फ इतना कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

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विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं की सियासी खिचड़ी पक तो रही है, लेकिन यह कहीं कहीं से ज्यादा ही तीखी या नमकीन जरूर बताई जा रही है। कुछ ऐसे नेता भी दल बदली कर रहे हैं जो ज्वाइन करने वाली पार्टियों की रीति-नीतियों, विचारधाराओं और काम-काज को बारम्बार गरिया चुके हैं। उनमें से एक हरक सिंह रावत भी हैं। पहले भाजपा में ही रहे हरक कांग्रेस में शामिल होने के बाद फिर भाजपा में गए थे। अब चुनाव से ऐन वक्त पहले वह भाजपा से कूदी मारकर कांग्रेस में आना चाह रहे थे, लेकिन त्रिशंकु की तरह बीचों-बीच फिलहाल अटक गए हैं।

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इधर से मंत्री पद और भाजपा की सदस्यता गई, उधर कांग्रेस के नेता डंडा लेकर खड़े हैं कि पहले गलती पर सार्वजनिक माफी मांगो तब ही एंट्री मिलेगी। ऐसे में हरक सिंह की कसमस बढ़ती जा रही है। उत्तराखंड की जनता भी इस पूरे घटनाक्रम को मूकदर्शक होकर देख रही है। हो न हो जनता 2017 विधानसभा चुनाव में जो हाल हरीश रावत का किया था वही हाल हरक का भी न कर दे। हालांकि यह तो भविष्य के गर्भ में है और हरक सिंह रावत विधानसभा क्षेत्र बदलने के बाद हर बार जीतते रहे हैं। इस बार दल-बदल की खिचड़ी में नियमानुसार सब कुछ पड़ रहा यह तो जनता भी समझ रही होगी, 14 मार्च को इसका ‘स्वाद’ सबके सामने होगा!

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