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गंगा नदी में खनन पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लगाई रोक, इनका जवाब तलब

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नैनीताल, ब्यूरो। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खनन से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंगा नदी में हो रहे खनन पर रोक लगा दी है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार और नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा से दो हफ्ते में जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने हरिद्वार की सीमा पर स्थित रायवाला से भोगपुर के क्षेत्र तक गंगा में खनन पूरी तरह से रोकने के आदेश जारी किए हैं।

हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में प्रार्थना की गई है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके। अब खनन कुंभ क्षेत्र में भी किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसी बोर्ड गठित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है। एनएमसी ने राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए कि यहां खनन कार्य न करें। उसके बाद भी सरकार यहां खनन कार्य करवा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी भारत सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा को बचाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे हैं। उसके बाद भी सरकार द्वारा गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है।

हाईकोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने आज बुधवार को हरिद्वार मातृ सदन की जनहित याचिका पर सुनवाई की। मातृ सदन की ओर से कहा गया है कि हरिद्वार गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है , जिससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा नदी में खनन करने वाले नेशनल मिशन क्लीन गंगा को पलीता लगा रहे है। आपको बता दें कि बुधवार को ही इस संबंध में नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान डीएम हरिद्वार ने इस संबंध में शपथ पत्र पेश किया। शपथ पत्र में डीएम की ओर से कहा गया कि गंगा नदी में खनन कार्य हो रहा है, लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। एनएमसी ने 16 फरवरी 2022 को फिर से राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा नदी में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए।

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