Home ऋषिकेश चेला चेतराम धर्मशाला से गाडूघड़ा कलश यात्रा श्रीनगर के लिए हुई रवाना

चेला चेतराम धर्मशाला से गाडूघड़ा कलश यात्रा श्रीनगर के लिए हुई रवाना

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गाडूघड़ा कलश यात्रा से ही माना जाता है भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का शुभारम्भ

ऋषिकेश (अमित कंडियाल): नरेन्द्रनगर राजमहल से ऋषिकेश पंहुची गाडूघड़ा कलश यात्रा का बड़ी धूमधाम से पूजा अर्चना कर स्वागत किया। बद्री-केदार मंदिर समिति के चेला चेतराम धर्मशाला में गाडूघड़ा को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखा गया। इस मौके पर धार्मिक आयोजन भी किये गए। इसके बाद गाडूघड़ा अगले पड़ाव श्रीनगर के लिए रवाना हुई। इससे पूर्व भगवान बद्रीनारायण का भोग प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। 8 मई को बद्रीनाथ के कपाट खोले जायेंगे। कपाट खुलने के बाद इसी पवित्र तेल से बद्रीनारायण का अभिषेक के बाद लेप किया जायेगा।

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भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का शुभारम्भ गाडूघड़ा कलश यात्रा से ही माना जाता है। नरेन्द्रनगर राजमहल से शुरू हुई यह यात्रा 7 मई को बद्रीनाथ पंहुचेगी। गाडूघड़ा में रखा पवित्र तेल भगवान के अभिषेक के बाद लेप के लिए प्रयोग किया जाता है। बद्रीनाथ धाम के लिए चली इस गाडूघड़ा की विभिन्न पडावो पर पूजा अर्चना की जाएगी। पवित्र तेल को डिम्मर गाँव के डिमरी पंचायत के लोग ही लेकर बद्रीनाथ धाम पंहुचते है।

डिम्मर पंचायत के सचिव राजीव डिमरी का कहना है की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने बताया की इस बार यात्रा भी काफी अच्छी रहेगी। यात्रा के लिए उनके पास अभी से उनके जजमानो ने बद्रीनारायण की पूजा करने के लिए अपनी बुकिंग करा ली है। गाडूघड़ा के दर्शन के लिए भारी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी,कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और ऋषिकेश मेयर अनीता ममगाईं भी गाडूघड़ा के दर्शन को पंहुचीं। उनका कहना था की भगवान बद्रीनारायण को जिस पवित्र तेल से लेप किया जाता है, उसके दर्शन और बद्रीनाथ की यात्रा का महत्व एक सामान है। गाडूघड़ा उनके नगर में आयी यह उनके लिए सौभाग्य की बात है। साथ ही कई लोग अपने पूरे परिवार के साथ इसके दर्शन के लिए पंहुचे। लोगों का कहना था की इस बार वे पूरे परिवार के साथ भगवान बद्रीनारायण के दर्शन के लिए भी जायेंगे। गाडूघड़ा यात्रा से ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ माना जाता है। गाडूघड़ा विभिन्न पड़ावो से होते हुए 7 मई को भगवान बद्रीनारायण पंहुचेगा। जंहा पूजा अर्चना के साथ ही कपाट खुलने बद्रीनारायण का अभिषेक किया जायेगा। उसके बाद इसी पवित्र तेल से भगवान बद्रीनारायण का लेप किया जाएगा।

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