दिल दहला देगा डूबते गांव लोहारी का यह दर्दभरा गीत, हो जाओगे भावुक और भयभीत

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देहरादून, ब्यूरो। देहरादून जनपद के विकासनगर तहसील का लोहारी गांव अब दुनिया के नक्से से ही मिट चुका है। दरअसल, यह गांव 120 मेगावाट की यमुना नदी के किनारे बन रही लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना के कारण झील क्षेत्र में डूब चुका है। अब इसकी यादें और यहां की संस्कृति और विरासत सिर्फ और सिर्फ यादों में ही रहेगी। इसी गांव की लोकगायिका सुनीता रोहिला ने इस दर्दभरे दौर को अपने शब्दों में पिरोकर गाया भी है।

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दरअसल, तस्वीरों में आप जिस गांव को देख रहे हैं, किसी वक्त यह एक समृद्ध गांव था। जौनसार-बावर की संस्कृति सभ्यता और उसकी विरासत को यह गांव पहचान दिलाता था, लेकिन व्यासी जल विद्युत परियोजना के चलते अब यह गांव जलमग्न हो चुका है। यह गांव अब डूब क्षेत्र में आ चुका है। 120 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना के जरिये अब इस गांव में झील अपना आकार लेने लगी है। जो कि लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना के नाम से जानी जाएगी।

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दूसरी बात करें तो किस तरीके से विकास की कीमत हमेशा उत्तराखंड के गावों ने चुकाई है, उसकी बानगी आपने टिहरी डैम के रूप में देखी है और अब यह लोहारी गांव कमोबेश वही कीमत चुका रहा है। इन सबके बीच आपको याद होगा गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का वह गाना जो गाना उन्होंने टिहरी डैम के डूबने के वक्त गाया था। आजकल एक ऐसा ही गाना प्रचलन में है। लोहारी गांव के डूबने के ऊपर इसको गाया है जौनसार-बावर की लोक गायिका सुनीता रोहिल्ला ने। अब आप लोकगायिका सुनीता रोहिला के इस गाने को सुनिए और महसूस कीजिए लोहारी गांव के उस दिल दहला देने वाले दर्द को।

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