प्रकृति को समर्पित ऋतु पर्व फूलदेई की पहाड़ों में मची धूम, ऐसे मनाया जाता है त्योहार

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पारंपरिक ऋतु पर्व फूल संक्रांति और फूलदेई पर बच्चों के चहरों पर आई मुस्कान, पहाड़ों में खूब हर्षोंउल्लास के साथ मनाया जा रहा है फूलदेई

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चमोली (संवाददाता- पुष्कर सिंह नेगी): उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं छेत्र में आज पारम्परिक ऋतु पर्व फूल संक्रांति और फूलदैई पर्व की धूम रही, रविवार से शुरू हुआ फूलदेई का त्योहार उत्तराखंडी समाज के लिए विशेष पारंपरिक महत्व रखता है। इस त्योहार को फूल सक्रांति के नाम से भी जाना जाता है, इस पर्व का मानव और प्रकृति से सीधा संबंध है। साथ ही यह ऋतुओं के राजा बसन्त ऋतु के आवागमन और स्वागत का प्रतीक है।

इस समय चारों ओर हरियाली और नए-नए प्रकार के खिले फूल प्राकृतिक खूबसूरती पर चार-चांद लगा देते हैं। इस फूल संक्रांत पर्व में पहाड़ के सीमांत जोशीमठ क्षेत्र के गावों में छोटे नौनिहाल बच्चे सुबह सूर्योदय के साथ-साथ घर-घर की देहलीज पर रंग बिरंगे फूल को चढ़ाते हुए घर की खुशहाली, सुख-समृद्धि की कामना के गीत गाते हैं अर्थात जिसका तात्पर्य है कि हमारा पहाड़ी समाज फूलों के साथ नए वर्ष की शुरूआत करें। इसके लिए बच्चों को प्रत्येक परिवार के लोग गुड़, चावल व पैसे उपहार आदि देते हैं। ये सांस्कृतिक,एवं लोक-परंपरा से भरे त्योहार की एक अनूठी हिमालयी संस्कृति की त्रिवेणी है।

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