अग्निपथ योजना के विरोध में सड़क पर फूटा युवकों का गुस्सा, पुलिस ने भांजी लाठी तो ऐसे बचाई जान

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हल्द्वानी/अल्मोड़ा/देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में अग्निपथ योजना के विरोध में जगह-जगह युवाओं का प्रदर्शन हो रहा है। कई जगह पुलिस युवाओं पर लाठीचार्ज भी कर रही है। हल्द्वानी के साथ ही अल्मोड़ा, हल्द्वानी और टनकपुर में भी युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। हल्द्वानी में लाठीचार्ज के दौरान कई युवा तो जान बचाने के लिए नहर में भी कूद गए। पुलिस ने लाठचार्ज किया तो प्रदर्शनकारी युवा इधर-उधर बचने के लिए भागे हैं। वहीं, युवाओं का कहना कि जिस चार साल के लिए मोदी सरकार नौकरी देने की बात कर रही है उसके लिए वह पांच साल से सड़कों पर दौड़कर मेहनत कर रहे हैं। चार साल बाद घर आकर क्या वह फिर से खेती-बाड़ी करेंगे? दो साल से सेना की भर्ती की लिखित परीक्षा सरकार नहीं करवा पा रही है। इससे कई युवा ओवरएज होते जा रहे हैं। साथ ही इस नई योजना में तो तैयारी कर रहे कई युवा लायक ही नहीं रह गए हैं।

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अग्निपथ योजना के विरोध में सड़क पर फूटा युवकों का गुस्सा, पुलिस ने भांजी लाठी तो ऐसे बचाई जान

दरअसल, सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ योजना को लेकर युवाओ में जबर्दस्त आक्रोश है। अल्मोड़ा में भी युवा सड़कों पर उतर आए हैं। आक्रोशित युवाओ ने आज चैघानपाटा से माल रोड होते मुख्य बाजार में रैली निकाली। इससे पहले बेरोजगार युवा गांधी पार्क में एकत्रित हुए। जहां उन्होंने सरकार की सेना भर्ती की नई स्कीम का विरोध किया। इस दौरान बेरोजगार युवाओं ने कहा कि कोई 5 तो कोई 3 साल से सेना भर्ती की तैयारी कर रहा है। युवाओं ने कहा कि सेना की 4 साल की भर्ती स्कीम युवाओं के साथ धोखा है। इस दौरान बेरोजगार युवाओं ने पिछले 2 साल से रुकी आर्मी की लिखित परीक्षा कराने की मांग की।

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दूसरी ओर आज युवाओं ने हल्द्वानी और टनकपुर में भी जमकर हंगामा किया। युवाओं ने सड़कें जाम कर दीं और इस योजना के विरोध में नारेबाजी करने लगे। इससे हल्द्वानी में भयंकर जाम की स्थिति पैदा हो गई। तिकोनिया मोड़ पर कई युवा जाम लगाने लगे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके अलावा अन्य जनपदों में भी अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन और आक्रोश युवाओं में देखने को मिल रहा है। युवा किसी भी पार्टी विशेष को तवज्जो न देकर सिर्फ अपने भविष्य को देखकर इस योजना का विरोध कर रहे हैं। पांच साल से जिस फौज के लिए वह तैयारी कर रहे हैं वह चार साल के बाद घर आकर क्या फिर से खेती-बाड़ी करेंगे। युवाओं का कहना है कि उन्हें टेम्परेरी नहीं प्रमानेंट नौकरी चाहिए।

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