/ Dec 04, 2025
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IAF GARUDA EXERCISE 2025: भारतीय वायुसेना (IAF) और फ्रांसीसी वायु और अंतरिक्ष बल (FASF) के बीच द्विपक्षीय हवाई अभ्यास का 8वां संस्करण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। ‘गरुड़ अभ्यास’ (Exercise Garuda) के नाम से जाना जाने वाला यह महत्वपूर्ण युद्धाभ्यास फ्रांस के मोंट-डे-मार्सन स्थित एयर बेस 118 पर आयोजित किया गया था। 27 नवंबर 2025 को इस अभ्यास का औपचारिक समापन हुआ, जिसके बाद भारतीय वायुसेना का दल अपने मिशन को पूरा कर 2 दिसंबर 2025 को वापस भारत लौट आया है। इस अभ्यास ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

अभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना ने अपनी पूरी ताकत और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया। अभ्यास में भारतीय वायुसेना की ओर से सुखोई-30 एमकेआई (Su-30MKI) लड़ाकू विमानों ने प्रमुखता से भाग लिया। इन लड़ाकू विमानों को सहयोग देने के लिए हवा में ही ईंधन भरने वाले आईएल-78 (IL-78) टैंकर विमान और सी-17 ग्लोबमास्टर III (C-17 Globemaster III) परिवहन विमान भी शामिल थे। इसमें संयुक्त मिशन की योजना बनाना और स्ट्राइक व एस्कॉर्ट मिशनों का समन्वित निष्पादन करना शामिल था, जिससे दोनों सेनाओं के पायलटों को एक-दूसरे की परिचालन प्रक्रियाओं को समझने का मौका मिला।

इस अभ्यास की सफलता में भारतीय वायुसेना के मेंटेनेंस क्रू यानी रखरखाव दल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। क्रू सदस्यों ने पूरे अभ्यास के दौरान विमानों की उच्च सेवा क्षमता (High Serviceability) सुनिश्चित की, जिससे सभी नियोजित मिशन बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके। समापन समारोह के दौरान भारत और फ्रांस दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत की। अधिकारियों ने दोनों वायु सेनाओं द्वारा दिखाए गए प्रोफेशनलिज्म, अनुशासन और प्रतिबद्धता की जमकर सराहना की। यह अभ्यास न केवल लड़ाकू क्षमताओं को परखने का मंच था, बल्कि तकनीकी दक्षता साबित करने का भी अवसर था।

‘गरुड़ 25’ को इस साल भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई प्रशिक्षण कार्यक्रमों में से एक माना जा रहा है। इस अभ्यास ने भारत और फ्रांस के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की है और भाग लेने वाले बलों को मूल्यवान परिचालन अनुभव प्रदान किया है। इस दौरान सीखे गए सबक भविष्य में भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को और बढ़ाने में मददगार साबित होंगे। साथ ही, मित्र देशों की विदेशी वायु सेनाओं के साथ तालमेल (Jointmanship) को मजबूत करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। दोनों देशों के बीच आपसी समझ और ‘इंटरऑपरेबिलिटी’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह अभ्यास पूरी तरह सफल रहा।

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