/ Nov 11, 2025
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DEHRADUN LAWYERS PROTEST: देहरादून बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने पुराने जिला जज न्यायालय परिसर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रस्तावित रैन बसेरा निर्माण के विरोध में दो दिनों तक धरना प्रदर्शन किया। सोमवार (10 नवंबर) को शुरू हुआ यह आंदोलन मंगलवार तक जारी रहा। अधिवक्ताओं ने चैंबर निर्माण की मांग को लेकर हरिद्वार रोड पर चक्का जाम किया, जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। धरना प्रदर्शन का मुख्य केंद्र पुराना जिला जज न्यायालय परिसर का सिविल कम्पाउंड रहा, जहां स्वास्थ्य विभाग लगभग 5 बीघा भूमि पर रैन बसेरा बनाने की योजना लेकर आया है।

अधिवक्ताओं का कहना है कि यह भूमि न्यायिक कार्य से जुड़ी आवश्यकताओं जैसे अधिवक्ता चैंबर और वादकारियों के लिए शेड के निर्माण हेतु अधिक उपयुक्त है। उनका तर्क है कि रैन बसेरा का निर्माण न्यायालयीन कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न करेगा और अधिवक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचाएगा। देहरादून बार एसोसिएशन में करीब 5,000 अधिवक्ता पंजीकृत हैं। इनके साथ स्टांप विक्रेताओं, टाइपिस्टों, मुंशियों और अन्य न्यायिक कर्मचारियों को मिलाकर यह संख्या 10,000 से अधिक हो जाती है। एसोसिएशन का कहना है कि वर्तमान में उपलब्ध भूमि सभी अधिवक्ताओं के लिए अपर्याप्त है और लंबे समय से चैंबर की कमी बनी हुई है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने कहा कि संबंधित भूमि अधिवक्ताओं और वादकारियों की सुविधाओं के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चैंबर निर्माण को लेकर सरकारी स्तर पर नीतिगत सहयोग की कमी है, जिसके कारण अधिवक्ता समुदाय नाराज है। एसोसिएशन ने अपनी दो प्रमुख मांगें रखीं पहला, रैन बसेरा निर्माण प्रस्ताव को तत्काल रद्द किया जाए, और दूसरा, उसी स्थान पर अधिवक्ता चैंबर तथा वादकारी शेड का निर्माण सुनिश्चित किया जाए।

10 नवंबर की सुबह करीब 10:30 बजे अधिवक्ताओं ने हरिद्वार रोड पर चक्का जाम किया, जो लगभग एक घंटे तक चला। 11 नवंबर को आंदोलन का दूसरा चरण दोपहर 12:30 बजे तक जारी रहा, जो पहले दिन से एक घंटा अधिक चला। इस दौरान अधिवक्ताओं ने सड़क पर बैठकर नारेबाजी की और बैनर-स्लोगनों के माध्यम से अपनी मांगें उठाईं। सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्युष सिंह ने सोमवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया और बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से ज्ञापन प्राप्त किया। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने ठोस आश्वासन नहीं दिया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

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