/ Jul 14, 2025
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UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTION को लेकर उत्तराखंड में इन दिनों स्थिति काफी उलझी हुई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने 13 जुलाई को यह प्रक्रिया रोक दी थी। आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया को दोपहर 2 बजे तक टाल दिया था। इसके बाद 14 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद आयोग ने तय किया कि चुनाव प्रक्रिया को पूर्व में जारी अधिसूचना के अनुसार ही आगे बढ़ाया जाएगा। इसके तहत 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे और जो बच गए, उनका वितरण 15 जुलाई की सुबह 8 बजे से कार्य समाप्ति तक किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई है, बल्कि सिर्फ 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी उस सर्कुलर पर रोक लगाई है, जिसमें कहा गया था कि अगर किसी व्यक्ति का नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में है तो वह चुनाव लड़ सकता है और मतदान कर सकता है, भले ही उसका नाम नगर निकाय की सूची में भी हो। कोर्ट ने यह कहा कि 11 जुलाई को जो आदेश जारी किया गया था, वह उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के अनुसार था और आयोग खुद इस अधिनियम के पालन के लिए जिम्मेदार है।
दरअसल, यह सारा विवाद उन प्रत्याशियों को लेकर उठा जिनका नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में शामिल है। पंचायत राज अधिनियम की धारा 9 की उपधारा 6 और 7 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में है, तो वह पंचायत चुनाव में मतदान करने या UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTION लड़ने के लिए पात्र नहीं होगा। कोर्ट ने 11 जुलाई को दिए गए अपने आदेश में इसी बात का हवाला देते हुए 6 जुलाई के सर्कुलर को रद्द कर दिया था, जिससे चुनाव आयोग की ओर से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने बताया कि आयोग ने हाईकोर्ट में एक पत्र दाखिल कर 11 जुलाई के आदेश में संशोधन की मांग की थी क्योंकि उससे चुनावी प्रक्रिया बाधित हो रही थी। लेकिन 14 जुलाई को सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया कि उसने UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTION प्रक्रिया को नहीं रोका है, केवल 6 जुलाई के सर्कुलर को रद्द किया है। ऐसे में आयोग अधिसूचना के अनुसार चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकता है।
एक जनहित याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि प्रदेश के 12 जिलों में कई प्रत्याशियों के नाम शहरी और ग्रामीण दोनों सूचियों में हैं और अलग-अलग जिलों में रिटर्निंग अधिकारियों ने इनके नामांकन को लेकर अलग-अलग फैसले लिए हैं। कहीं उनके नामांकन रद्द कर दिए गए, तो कहीं स्वीकृत कर दिए गए। याचिका में इस दोहरापन को अनुचित बताते हुए कोर्ट से स्पष्टता मांगी गई थी। याची ने यह भी तर्क दिया कि देश के किसी भी राज्य में एक व्यक्ति का नाम दो मतदाता सूचियों में होना आपराधिक माना जाता है और उत्तराखंड में इस प्रथा पर रोक लगनी चाहिए।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर कहा कि वह अब इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं देगी क्योंकि उसने पहले ही निर्णय सुना दिया है और वर्तमान में चल रही UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTION चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगी। कोर्ट का कहना था कि वह सिर्फ पंचायत राज अधिनियम के अनुरूप फैसला दे सकती है, लेकिन चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिए उस पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। यह निर्णय आगे के चुनावों में प्रभावी होगा। वहीं आयोग के अधिवक्ता का कहना था कि कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
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