/ Jun 04, 2025

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गंगा दशहरा 2025, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व

GANGA DUSSEHRA 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा इस वर्ष गुरुवार, 5 जून 2025 को पड़ेगा। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं, इसलिए यह तिथि गंगावतरण दिवस के रूप में भी प्रसिद्ध है। पर्व की उदयातीथि को ध्यान में रखते हुए पंचांगविदों ने स्नान-दान एवं पूजन के लिए पाँच जून को ही मुख्य दिन घोषित किया है।

GANGA DUSSEHRA 2025
GANGA DUSSEHRA 2025

GANGA DUSSEHRA 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

दशमी तिथि 4 जून 2025 की रात 11 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ होगी और 6 जून 2025 की रात 2 बजकर 15 मिनट तक चलेगी। ब्रह्म मुहूर्त में पुण्य-स्नान का विशेष महत्व रहेगा, जो 5 जून की भोर 4 बजकर 7 मिनट तक मान्य है। हस्त नक्षत्र 5 जून की तड़के 3 बजकर 35 मिनट से 6 जून की सुबह 6 बजकर 34 मिनट तक प्रभावी रहेगा, जबकि व्यतीपात योग 5 जून को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा, जो पर्व को और अधिक सिद्धिदायक बनाता है।

GANGA DUSSEHRA 2025
GANGA DUSSEHRA 2025

गंगा दशहरा का धार्मिक महत्त्व

पौराणिक कथा कहती है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने गंगा को पृथ्वी पर भेजा, किंतु गंगा की प्रचंड धारा को थामने के लिए भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में धारण कर धीरे-धीरे धरती पर प्रवाहित किया। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन गंगा-स्नान से दस प्रकार के पाप—तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक—नष्ट होते हैं। शब्द “दशहरा” भी “दश” यानी दस और “हरा” यानी हरण करने वाला से बना है, जो पापों के विनाश का द्योतक है।

GANGA DUSSEHRA 2025
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ऐसे करें गंगा दशहरा की पूजा

पर्व की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में गंगा-स्नान से होती है। यदि गंगा-तट पर जाना संभव न हो, तो घर के स्नानजल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान उपरांत तांबे के पात्र में जल, अक्षत और पुष्प भरकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। घर या घाट पर मां गंगा का चित्र या प्रतिमा स्थापित कर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य समर्पित करें और “ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः” मंत्र का जप करें। गंगा स्तोत्र व पाठ करने से साधक की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

GANGA DUSSEHRA 2025
GANGA DUSSEHRA 2025

पारंपरिक मान्यता के अनुसार इस दिन फल, वस्त्र, छाता, घड़ा, शरबत, अन्न आदि दस वस्तुओं का दान अत्यंत पुण्यदायक है। पूजा के समापन पर मां गंगा की आरती कर प्रसाद ग्रहण और वितरित करें। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली भव्य गंगा आरती गंगा दशहरा का मुख्य आकर्षण होती है। हरिद्वार, ऋषिकेश, प्रयागराज और गंगासागर में भी श्रद्धालुओं का विशाल जमावड़ा रहता है। ब्रज-क्षेत्र के मथुरा-वृंदावन में इसी दिन यमुना पूजा के साथ पतंगबाजी के कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें स्थानीय संस्कृति की झलक मिलती है।

डिस्क्लेमर

यह लेख प्राचीन धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिषीय गणनाओं और उपलब्ध पंचांगों पर आधारित है। पाठक कृपया इसे सामान्य सूचना मानकर अपने विवेक और श्रद्धा के अनुसार आचरण करें।

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