/ Apr 18, 2025
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RAM NAVAMI 2025: हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम और आदर्श पुरुष के रूप में पूजा जाता है। उन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। उनके जीवन से धर्म, आदर्श, सत्य, संयम और कर्तव्य पालन की प्रेरणा मिलती है। भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली राम नवमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार राम नवमी का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार राम नवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
नवमी तिथि का आरंभ 5 अप्रैल 2025 को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगा और यह 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है, इसलिए राम नवमी का व्रत और पूजन 6 अप्रैल को ही होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार राम नवमी पर पुष्य नक्षत्र, सुकर्मा योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
राम नवमी के दिन पूजा करने का सबसे उत्तम समय अभिजीत मुहूर्त होता है, क्योंकि मान्यता है कि प्रभु श्रीराम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था। इस बार राम नवमी पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इसके अतिरिक्त 6 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 8 मिनट से लेकर 7 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 7 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि पुष्य योग भी बन रहे हैं। ये योग हर कार्य को सिद्धि प्रदान करने वाले माने जाते हैं और पूजा-पाठ, दान-पुण्य व धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
इस दिन भक्तगण उपवास रखते हैं, प्रभु श्रीराम का पूजन करते हैं और घरों में श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड और रामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाता है। माना जाता है कि राम नवमी के दिन प्रभु राम की आराधना करने से साधक को सद्बुद्धि मिलती है, जीवन में विजय प्राप्त होती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। राम नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा के साथ नवरात्रि का समापन भी होता है। इस दिन कन्याओं को भोजन करवाकर उन्हें उपहार देने की परंपरा भी है। कई स्थानों पर झांकियों, शोभायात्राओं और धार्मिक सभाओं का आयोजन होता है। अयोध्या नगरी में राम नवमी का उत्सव विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।
राम नवमी के दिन घर के पूजा स्थल को साफ कर पीले वस्त्र से ढँकी हुई चौकी पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। भगवान श्रीराम को चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, मिठाई और फलों का भोग अर्पित किया जाता है। पंचामृत से अभिषेक करने के बाद प्रभु का श्रृंगार कर आरती की जाती है। साथ ही भक्तजन श्रीरामचरितमानस, सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करते हैं और “राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे, सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने” जैसे मंत्रों का जाप करते हैं। पूजा के अंत में प्रभु की आरती उतारकर सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है।
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