/ Oct 09, 2024
All rights reserved with Masterstroke Media Private Limited.
NAVRATRI DAY 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति यानि मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। मां कालरात्रि को दुष्टों के विनाश के लिए जाना जाता है, इसलिए इनका नाम कालरात्रि रखा गया है। धर्म शास्त्रों में उल्लेख है कि मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए इस रूप को धारण किया था। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्तियों का भय नहीं रहता।
पौराणिक कथाओं में शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों का वर्णन मिलता है। ये राक्षस इतने शक्तिशाली थे कि इन्होंने तीनों लोकों में आतंक फैला रखा था। देवता इन राक्षसों के अत्याचारों से बहुत परेशान थे। उन्होंने भगवान शिव से इस समस्या का समाधान मांगा। भगवान शिव ने मां पार्वती को इन राक्षसों का वध करने का आदेश दिया। मां पार्वती ने मां दुर्गा का रूप धारण कर शुंभ और निशुंभ का वध कर दिया। लेकिन रक्तबीज नाम का एक राक्षस और भी खतरनाक था। इस राक्षस को एक वरदान प्राप्त था कि यदि उसके शरीर से एक बूंद भी खून गिरेगा तो उस बूंद से एक नया राक्षस पैदा हो जाएगा।
जब मां दुर्गा ने रक्तबीज से युद्ध किया तो उसके शरीर से खून की बूंदें गिरने लगीं और हर बूंद से एक नया राक्षस पैदा हो गया। इस तरह से राक्षसों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। तब मां दुर्गा ने अपने तेज से मां कालरात्रि को प्रकट किया। मां कालरात्रि ने रक्तबीज के शरीर से निकलने वाले खून को अपने मुख में भर लिया, जिससे नए राक्षस पैदा होने बंद हो गए। अंत में, मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध कर दिया और तीनों लोकों को राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया।
देश दुनिया से जुड़ी हर खबर और जानकारी के लिए क्लिक करें-देवभूमि न्यूज
All Rights Reserved with Masterstroke Media Private Limited.