/ Oct 02, 2024
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NAVRATRI का शुभारंभ 3 अक्टूबर, बुधवार से हो रहा है, और इस पर्व के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह नौ दिन माता रानी की उपासना और आराधना के लिए समर्पित होते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से इन दिनों में मां दुर्गा की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इन दिनों पूजा करते समय सही पूजन सामग्री का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि आप पूजा को विधिपूर्वक कर सकें और किसी भी प्रकार की कमी न रह जाए। इसलिए, नवरात्रि के आगमन से पहले सभी आवश्यक सामग्रियों को इकट्ठा कर लेना चाहिए, ताकि पूजा के समय में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
शारदीय नवरात्रि की पूजा के लिए जो सामग्री आवश्यक होती है, उसमें धूप, फूल, पांच प्रकार के फल, लौंग, इलायची, दूर्वा, कपूर, अक्षत, सुपारी, नारियल, माता रानी के लाल वस्त्र, कलावा, माता की लाल चुनरी, माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति, घी और दीपक, श्रृंगार का सामान, पान का पत्ता, जायफल, जौ, मिट्टी का बर्तन, हवन कुंड, लाल रंग का आसन, पंच पल्लव और पंचमेवा शामिल हैं। यह सामग्री न केवल पूजा को संपूर्ण बनाती है, बल्कि भक्त के मन में श्रद्धा और विश्वास को और मजबूत करती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा को श्रृंगार का सामान अर्पित करना भी विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि जब भक्त माता को सोलह श्रृंगार अर्पित करता है, तो माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति का भाग्योदय होता है। सोलह श्रृंगार में लाल चुनरी, लाल वस्त्र, सिंदूर, लाल बिंदी, मेहंदी, काजल, चूड़ियां, मांग टीका, झुमकी, गले के लिए हार, गजरा, बिछुआ, बाजूबंद, कमरबंद, नथ और इत्र शामिल होते हैं। यह सभी वस्तुएं मां दुर्गा को अर्पित की जाती हैं ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
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