Home Political Story इस झगड़े के बाद शुरू हुई योगी आदित्यनाथ की राजनीति !

इस झगड़े के बाद शुरू हुई योगी आदित्यनाथ की राजनीति !

0

योगी आदित्यनाथ होना आसान नहीं है. उत्तराखंड के कठिन पहाड़ी क्षेत्र से अपनी जिंदगी शुरू करने के बाद उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने तक उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा. आज हम अपनी पॉलिटिकल स्टोरी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात कर रहे हैं. इस स्टोरी में हम आपको बताएँगे कि कैसे एक झगड़े ने योगी आदित्यनाथ को राजनीति में इंट्री दिला दी.

बात मार्च 1994 की है, गोरखपुर के गोलघर बाजार में कुछ छात्र कपड़े खरीदने एक दुकान में गये. ये छात्र गोरखपुर मंदिर ट्रस्ट के एमपी इंटर कॉलेज के छात्र थे. खरीदारी के समय मोलभाव करते हुए इन छात्रों और दुकानकार के बीच कहासुनी होने लगी. बात बढ़ने लगी और ये कहासुनी झगड़े में बदल गई. झगड़ा भी इतना बढ़ गया कि दुकानदार ने गुस्से में अपनी रिवाल्वर से दो राउंड फायरिंग कर दी. फायरिंग के बाद ये छात्र वहां से भाग गये. लेकिन पुलिस ने दुकानदार पर कार्रवाई करने के बजाय छात्रों की धर-पकड़ शुरू कर दी. पुलिस गोरखपुर मंदिर ट्रस्ट के हॉस्टिल प्रताप हॉस्टिल तक पहुंच गयी. लेकिन यहां पुलिस को वे छात्र नहीं मिले. फिर पुलिस वहां से धमकी देकर चली गयी. अब ये डरे हुए छात्र गोरखनाथ मंदिर पहुंच गये. उन्होंने अपनी पूरी कहनी ट्रस्ट के पदाधिकारियों के सामने रखी. ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इस पूरे प्रकरण को निपटाने और छात्रों की समस्या को दूर करनी की जिम्मेदार एक ऐसे योगी को सौंप दी जो महज 22 साल के थे. पहले तो इन छात्रों को यकीन नहीं हुआ कि ये 22 साल के योगी क्या उनकी मद्द करेंगे.

अब जब ट्रस्ट ने निर्देश दे दिये थे तो उन्हें विश्वास करना भी जरूरी होगा गया था. लेकिन अगले ही दिन गोरखपुर शहर का नजार ही बदला हुआ था. उस 22 वर्षीय योगी के नेतृत्व में मुट्ठीभर छात्रों ने गोरखपुर शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और दुकानदार की गिरफ्तारी की मांग शुरू कर दी. प्रदर्शन करते- करते ये छात्र एसएसपी आवास तक पहुंच गये. 22 वर्षीय योगी के नेतृत्व में आये ये मुट्ठीभर छात्र पुलिस पर भारी पड़ने लगे. पुलिस ने इन्हें यहां से हटाने की कोशिश भी की लेकिन ये योगी एक दिवार पर चढ़ गया और अपना प्रदर्शन जारी रखा. इस 22 वर्षीय योगी की हिम्मत देख कर हर कोई हैरान था. हर कोई बस यही पूछ रहा था कि ये भगवाधारी कौन है. फिर किसी ने बताया कि यह योगी आदित्यनाथ हैं.

योगी आदित्यनाथ का यह पहल प्रदर्शन सफल रहा और पूरे गोरखपुर में उनके नाम की चर्चा होने लगी. चर्चा इतनी बढ़ गई की कोई भी असहाय और मजबूर मद्द के लिए उनके पास पहुंच जाता. यहां तक कि गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र उनसे मिलने लगे और योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहुंच हो गई. गोरखनाथ मंदिर के महंत तो वे पहले ही बन चुके थे लेकिन 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी भी बना दिया. महंत अवैद्यनाथ तब गोरखपुर सीट से बीजेपी के सांसद थे तो बीजेपी ने 1998 के लोकसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ को अपना प्रत्याशी बना दिया और योगी आदित्यनाथ ने 26 हजार वोटो से चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद का रिकॉर्ड बनाया. फिर वे 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार सांसद बने और 2017 में बीजेपी ने उन्हें उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी. 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने खुद को साबित किया और दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

Exit mobile version