Uttarakhand Devbhoomi Desk: भारतीय इतिहास के पन्नों में 16 दिसम्बर 1971 का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। यह दिन वो दिन है जब कश्मीर का सपना देखने वाले पाकिस्तान पर भारत ने विजय (Vijay diwas 2022) हासिल की थी और भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के 93000 सेना ने आत्मसमर्पण किया था। इतना ही नहीं बल्कि इस दिन भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान से अलग कर दिया था।
जिस कारण राजनीतिक नक्शे पर बांग्लादेश (पहले पूर्वी पाकिस्तान था) एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। तब से इस ऐतिहासिक विजय को पूरा देश विजय दिवस के रूप में मनाता आ रहा है और भारतीय सेना के वीर जवानो के बलिदानो के नमन कर रहा है।
Vijay diwas 2022: पाकिस्तान के सरेन्डर की कहानी
3 दिसंबर 1971 में शुरू होने वाला भारत-पाकिस्तान युद्ध करीब 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर 1971 में भारत-पाकिस्तान की सेना के बीच युद्धविराम लग गया। अंत में हार मानते हुए पाकिस्तान के करीब 93 हजार जवानों ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया। 13 दिन की इस लड़ाई का मुख्य कारण भारत का बांग्लादेश की आजादी को समर्थन देना था।
दरअसल, उस समय वेस्ट पाकिस्तान, ईस्ट पाकिस्तान पर अत्याचार कर रहा था। इस अत्याचार से निपटने के लिए पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी सेना बनी जिसे भारतीय सेना ने सहयोग दिया। इस कारण पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 की शाम (Vijay diwas 2022) को भारत के 11 सैन्य हवाई अड्डों पर अचानक हमला कर दिया। लेकिन अंत में अपनी हार को देखते हुए पाकिस्तान सरेंडर करने को मजबूर हो गया। इस युद्ध में ना केवल सेना बल्कि वायुसेना ने भी ऐसा दम दिखाया जिसकी पाकिस्तान ने भी कल्पना नहीं की थी।
आज विजय दिवस (Vijay diwas 2022) के अवसर पर मातृभूमि को गौरवान्वित करने वाले सभी बहादुर जवानों के शौर्य और बलिदानों को पूरा देश नमन कर रहा है।
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