/ Sep 26, 2025
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TRUMP PHARMA TARIFF: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मा सेक्टर को झटका देते हुए घोषणा की है कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में आयात होने वाली सभी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। हालांकि यह टैरिफ तभी लागू नहीं होगा जब दवा कंपनियां अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करेंगी। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर कहा कि यह कदम अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जुलाई 2025 में ट्रंप प्रशासन ने यूरोपीय संघ के साथ समझौते के तहत फार्मास्यूटिकल इंपोर्ट्स पर 15% टैरिफ की घोषणा की थी, जिसमें जेनेरिक दवाओं को छूट दी गई थी। अगस्त में ट्रंप ने 250% तक टैरिफ लगाने की बात कही थी, लेकिन धीरे-धीरे लागू करने का संकेत दिया था। गुरुवार का यह ऐलान अचानक और अप्रत्याशित माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर लागू नहीं होगा, लेकिन पेटेंटेड और कॉम्प्लेक्स जेनेरिक्स पर असर पड़ने से सप्लाई चेन और दवा कीमतें प्रभावित हो सकती हैं।
भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग 45% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं और भारत अपने कुल फार्मा निर्यात का एक-तिहाई हिस्सा अमेरिका भेजता है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का अमेरिकी फार्मा निर्यात 20% बढ़कर 10.5 अरब डॉलर हो गया। हालांकि यह टैरिफ मुख्य रूप से ब्रांडेड दवाओं पर है, लेकिन कॉम्प्लेक्स जेनेरिक्स और स्पेशल्टी मेडिसिन्स पर बने संशय से भारतीय कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा, लुपिन, ऑरोबिंडो और ग्लैंड फार्मा जैसी कंपनियां अमेरिका से अपने कुल राजस्व का 30-50% हिस्सा कमाती हैं। यदि टैरिफ का असर जेनेरिक दवाओं तक पहुंचा तो भारतीय कंपनियों की कमाई घट सकती है और अमेरिकी बाजार में उनकी हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है। सरकार और फार्मेक्सिल जैसी संस्थाएं अब अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे नए बाजारों में विविधीकरण पर जोर दे रही हैं।
ट्रंप की घोषणा के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर बाजार में तगड़ी गिरावट आई। शुक्रवार को निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.6% टूट गया। सन फार्मा 3.4% गिरा, जबकि नाटको, वॉकहार्ट, सिप्ला, लुपिन और ऑरोबिंडो जैसी कंपनियों के शेयरों में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि अब भारतीय कंपनियों को अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने पर अतिरिक्त निवेश करना पड़ सकता है।
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