/ Sep 19, 2024

News Elementor

RECENT NEWS

पितृ पक्ष का दूसरा ग्रहण होगा 2 अक्टूबर को, जानिए सूर्यग्रहण के प्रभाव और खास उपाय

SURYA GRAHAN: इस वर्ष पितृ पक्ष के दौरान एक अनोखी खगोलीय घटना होने जा रही है। इस बार के पितृ पक्ष में चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण दोनों ही लग रहें हैं। पितृ पक्ष के पहले दिन यानि 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण था और ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया था। पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानि 2 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या के दिन साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा। यह एक कंकणाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाएगा और सूर्य के चारों ओर एक चमकदार वलय जैसी आकृति नजर आएगी।

SURYA GRAHAN
SURYA GRAHAN

SURYA GRAHAN कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगेगा

इस सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय दृष्टिकोण भी काफी महत्वपूर्ण है। यह ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगेगा और इस दौरान तीन ग्रह—बुध, केतु और सूर्य—राहु की सीधी दृष्टि में होंगे। ज्योतिष ग्रंथों में एक ही महीने में दो ग्रहणों का होना अशुभ माना गया है। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो ग्रहण केवल एक खगोलीय घटना है और इसका पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं से कोई सीधा संबंध नहीं होता। फिर भी  इस खगोलीय घटना का प्रभाव विभिन्न परंपराओं और मान्यताओं के आधार पर महत्वपूर्ण माना जाता है।

SURYA GRAHAN
SURYA GRAHAN

भारत में क्या होगा ग्रहण का प्रभाव 

अब सवाल ये उठता है कि सूर्य ग्रहण का भारत में क्या प्रभाव रहने वाला है, भारत में जब भी सूर्य ग्रहण होता है, तो सूतक काल 12 घंटे पहले से ही लागू हो जाता है। इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ वर्जित माने जाते हैं क्योंकि ग्रहण को अशुभ माना जाता है। लेकिन चूंकि इस बार ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इस कारण, पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म बिना किसी बाधा के किए जा सकते हैं।

SURYA GRAHAN
SURYA GRAHAN

ग्रहण के दिन श्राद्ध के दौरान विशेष सावधानी बरतें

इस ग्रहण के दौरान श्राद्ध कर्म करने वाले लोगों को विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • श्राद्ध कर्म करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को प्रणाम करना शुभ माना जाता है।
  • इसके अलावा, ग्रहण के समय गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना भी शुभ माना जाता है।
  • पीपल के पेड़ पर जल, अक्षत, पुष्प, गंगाजल और काले तिल चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है। इस से पित्रों का आशीर्वाद मिलता है।
SURYA GRAHAN
SURYA GRAHAN

वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है तो सूर्य ग्रहण लगता है। इस बार लगने वाला कंकणाकार सूर्य ग्रहण, उस समय होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से अपेक्षाकृत दूर होता है, जिसके कारण वह सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता। इससे सूर्य का बाहरी किनारा एक चमकदार वलय के रूप में दिखाई देता है। इस प्रकार के सूर्य ग्रहण का दृश्य अत्यधिक सुंदर और दुर्लभ होता है, जिसे देखना एक अद्भुत अनुभव माना जाता है।

ये भी पढिए-

Pitru Paksha

 

Pitru Paksha : पितृ पक्ष में ध्यान रखने खास वाली बातें

इस खगोलीय घटना का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्व है। जहां ज्योतिषी इसे विशिष्ट ऊर्जा और प्रभाव से जोड़ते हैं, वहीं वैज्ञानिक इसे एक साधारण खगोलीय प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। ग्रहण के इस संयोग के बावजूद, इस बार के पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और दान-पुण्य के कार्य बिना किसी अड़चन के किए जा सकते हैं।(SURYA GRAHAN)

देश दुनिया से जुड़ी हर खबर और जानकारी के लिए क्लिक करें-देवभूमि न्यूज

RECENT POSTS

CATEGORIES

Sports

Entertainment

Share Market

All Rights Reserved with Masterstroke Media Private Limited.