Home ये भी जानिए सेना में गुजरातियों की संख्या क्यों है न के बराबर?

सेना में गुजरातियों की संख्या क्यों है न के बराबर?

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क्या सेना में गुजरातियों को भर्ती होने से है परहेज़?

सेना में गुजरातियों की संख्या क्यों है कम

देहरादून ब्यूरो। आखिरकार देश के और राज्यों की तुलना में गुजरात से क्यों सेना में नौजवान कम भर्ती होते हैं। आज इसी बारे में हम चर्चा करने वाले है जिसमें आपको बताएंगे इसके पीछे के कई कारण। गुजरातियों की सेना में कम भर्ति होने के पीछे कई कारण हैं।

सेना में गुजरातियों का इतिहास

सेना में गुजरातियों का कम होने के पीछे का पहला कारण तो ये है कि इतिहास में गुजरातियों का लड़ाई में कोई भी Direct Involvement नही था। 1297 AD में Alauddin Khilji ने गुजरात पर अपना कब्ज़ा किया फिर 1573 में मुगलों ने गुजरात को जीत लिया इसके बाद 1753 तक मराठा ने गुजरात के कई हिस्सों को जीत कर उनपर अपना कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने 1800 में सूरत पर अपना कब्ज़ा कर लिया। इस दौरान जो भी युद्ध हुए गुज़राती उसमें involve ही नही हुए। जो भी गुजरातियों पर अपना आधिपत्य जताता वो उन्हें जताने देते और साथ के साथ अपना व्यापार भी करते रहते।

सेना में गुजरातियों का इस वजह से था कम योगदान

फिर 1857 के बाद जब सिपाहियों द्वारा अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया गया तो अंग्रेज़ों ने फिरसे सेना की भर्ती निकाली और सेना में गुज़रातियों को जगह नही दी गई। इस वक्त अंग्रेज केवल सिखों और गोरखाओं को ही सेना में भर्ती कर रहे थे क्योंकि वो sepoy Mutiny के दौरान अंग्रेज़ों के प्रति वफादार थे और साथ ही साथ काफी जोशीले भी थे। इसी कारण अंग्रेजी हुकुमत के दौरान ही सेना में सिख रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट और साथ ही मराठा रेजीमेंट बना दी गई।

अब जब गुजराती अंग्रेज़ो के समय में ही सेना में भर्ती नही हुए तो उनके वंशज भी सेना में नही जा पाए। क्योंकी जब सेना में कोई जवान शहीद होता है तो उसके बाद उसके परिवार में से किसी को नौकरी मिल जाती थी मगर गुजरातियों के साथ ऐसा कुछ हुआ ही नही।

क्या सेना में गुजरातियों का न जाने के पीछे का कारण एक अमीर राज्य होना है?

इसके बाद गुजराती इस कारण भी सेना में भर्ती नही होते क्योंकि वो एक अमीर राज्य है। रिसर्च में ये पाया गया है कि एक गरीब राज्य की तुलना में अमीर राज्य से लोग सेना में कम भर्ती होते हैं। इसके पीछे कारण है कि एक गरीब राज्य के पास रिसोर्सेस की और पैसों की कमी होती है जिसके कारण वो अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए आर्मी ज्वाइन कर लेते हैं वहीं अमीर राज्यों के पास पैसों की और रिसोर्सेस की कमी न होने के कारण वो कई जगह अपनी किस्मत अज़माते हैं और इनमें से ज्यादातर लोग व्यापार में अपना पैसा लगाते हैं।

इसके साथ ही गुजराती सेना में इसलिए भर्ति नही होते क्योंकि उनके पूर्वज ही शुरू से व्यापार में होते हैं और आगे चलकर बच्चे भी अपने पिता का कारोबार ही संभालते हैं और गुजरात में काफी समय से ऐसा ही चला आ रहे है। इसी कराण गुजरातियों का दिमाग व्यापार में ज्यादा चलता है।

व्यापार में कैसे आए गुजराती?

सेना में भर्ती न होने और व्यापार करने के पीछे एक कारण ये भी है कि भारत की 20 प्रतिशत कोस्ट लाइन गुजरात से आती है इसी कारण ज्यादातर गुजराती ट्रैवलर्स या फिर ट्रेडर्स हैं। वहीं ऐसा भी नही है कि सभी गुजराती व्यापारी हैं।

सेना में भर्ती होने की चाह लिए गुजराती क्यों होते हैं असफल?

वहीं भारतीय सेना में गुजरातियों ने शामिल होने की कोशिश भी की, लेकिन ज्यादातर गुजराती सेना के लिए क्वालिफाई ही नही कर पाते। बात करें आंकड़ों की तो 2013 से 2018 के बीच करीबन साढ़े 4 लाख गुजरातियों ने सेना में भर्ती होने का प्रायास किया था मगर इनमें से केलव 7000 Applicants ही सेना में भर्ती हो पाए।

सेना में गुजरातियों द्वारा क्वालिफाई ना कर पाने के पीछे कई कारण हैं जैसे की गुजरातियों द्वारा तंबाकू का ज्यादा सेवन करना इसी कारण कई applicants तो परीक्षा के दौरान होने वाली दौड़ को तक क्वालिफाई नही कर पाते और जो जवान की category के लिए क्वालिफाई कर भी जाते हैं वो भी ऑफिसर की रैंक तक नही पहुंच पाते। इसके पीछे कारण हैं उनकी अंग्रेजी में कम पकड़। अंग्रेज़ी में कमज़ोर होने के कारण वो आगे चलकर ऑफिसर के लिए क्वालिफाई नही कर पाते हैं।

सेना में गुजरातियों की भर्ती को लेकर टारगेट करना क्या है राजनीति का गंदा खेल?

वहीं जो लोग ये बोलते है कि सेना में गुजरातियों की संख्या न के बराबर है या फिर क्या गुजरात से कोई शहादत आजतक किसी ने सुनी है तो उनको बता दें कि गुजरात का एक गांव है कोदियावड़ा जहां आपको हर परिवार से एक इन्सान तो फौज में ज़रूर मिलेगा। तो क्या कुछ राजनीतिक पार्टियां राजनीति का गंदा खेल खेलने के लिए एक राज्य को बीच में घसीटती हैं और वहां के लोगों को टार्गेट किया जाता है।         

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