/ Apr 26, 2025
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PANCH KEDAR: उत्तराखंड की पवित्र भूमि में बसे पंचकेदार भगवान शिव को समर्पित पांच पावन धाम हैं, जिनमें केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर शामिल हैं। केदारनाथ धाम और तुंगनाथ मंदिर के कपाट 2 मई 2025 को सुबह 7 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 18 मई 2025 को खुलेंगे, जबकि मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट 21 मई 2025 को भक्तों के लिए खोले जाएंगे।
पंचकेदार से जुड़ी कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने कौरव भाइयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। वे भगवान शिव की शरण में गए, क्योंकि शिव ही उन्हें इस पाप से मुक्त कर सकते थे। लेकिन शिव पांडवों से नाराज थे, क्योंकि उन्होंने युद्ध में छल का सहारा लिया था। इसलिए शिव ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया और हिमालय में कहीं छिप गए। पांडव उनकी खोज में निकल पड़े और अंततः उन्हें गुप्तकाशी में खोज लिया। वहां शिव ने एक बैल का रूप धारण किया।
जब पांडवों ने बैल को पहचान लिया, तो भीम ने उसे पकड़ने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही भीम ने बैल को पकड़ा, शिव अदृश्य हो गए और उनका शरीर पांच हिस्सों में बंट गया। ये पांच हिस्से अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए, जहां बाद में पंचकेदार मंदिरों की स्थापना हुई। केदारनाथ में शिव की पीठ (हंप) प्रकट हुई, इसलिए वहां उनकी पीठ की पूजा होती है। मध्यमहेश्वर में उनकी नाभि और उदर (पेट) प्रकट हुआ। तुंगनाथ में उनकी भुजाएं प्रकट हुईं, जो शक्ति का प्रतीक हैं। रुद्रनाथ में उनका मुख प्रकट हुआ, और कल्पेश्वर में उनकी जटाएं (बाल) प्रकट हुईं।
एक अन्य कथा के अनुसार, यह घटना गुप्तकाशी के निकट हुई, जहां पांडवों ने बैल को देखा। भीम ने बैल की दो टांगें पकड़ लीं, लेकिन बैल जमीन में समा गया। तब शिव ने पांडवों को दर्शन दिए और उनके पापों का प्रायश्चित करने का मार्ग बताया। पांडवों ने इन पांच स्थानों पर शिव की पूजा की और मंदिरों की स्थापना की। ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन से भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ मंदिर, जो पंचकेदार में सबसे प्रमुख है, रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को सुबह 7 बजे भक्तों के लिए खोले जाएंगे। यह तारीख महाशिवरात्रि के अवसर पर घोषित की गई थी। मंदिर हर साल शीतकाल में छह महीने के लिए बंद रहता है और गर्मियों में भक्तों के लिए खुलता है।
मध्यमहेश्वर, या द्वितीय केदार, रुद्रप्रयाग जिले में 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां शिव के नाभि भाग की पूजा की जाती है। इस मंदिर के कपाट 21 मई 2025 को सुबह 11:30 बजे कर्क लग्न में विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे। मध्यमहेश्वर की चल विग्रह डोली 18 मई को ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में विराजमान होगी, फिर 19 मई को राकेश्वरी मंदिर रांसी और 20 मई को गौंडार गांव होते हुए 21 मई को मध्यमहेश्वर धाम पहुंचेगी।
तुंगनाथ, जिसे तृतीय केदार कहा जाता है, चमोली जिले में 3,680 मीटर की ऊंचाई पर है और यह भारत का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। यहां भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है। तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी 2 मई 2025 को शुभ मुहूर्त में खोले जाएंगे। इसकी चल विग्रह डोली 30 अप्रैल को मक्कूमठ से भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी, फिर 1 मई को चोपता में रात्रि विश्राम के बाद 2 मई को तुंगनाथ धाम पहुंचेगी।
रुद्रनाथ, जिसे चतुर्थ केदार कहा जाता है, चमोली जिले में 3,559 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है। इस मंदिर के कपाट खुलने की तारीख की घोषणा अभी तक नहीं हुई है, लेकिन सामान्यतः यह मई के मध्य में खुलता है। रुद्रनाथ की यात्रा सबसे दुर्गम मानी जाती है, क्योंकि यह घने जंगलों और पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरती है।
कल्पेश्वर, या पंचम केदार, चमोली जिले में 2,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एकमात्र ऐसा पंचकेदार मंदिर है जो साल भर भक्तों के लिए खुला रहता है। यहां भगवान शिव के जटाओं की पूजा होती है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर है और जोशीमठ से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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