लाल कुआं (संवाददाता- योगेश दुमका): उत्तर भारत के विख्यात अष्टादश मंदिर जोकि लाल कुआं के बेरी पड़ाव क्षेत्र में स्थित है में लगातार भक्तों की भारी भीड़ शिव
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आराधना के लिए पहुंची हुई है। अष्टभुजा मंदिर के वरिष्ठ पुजारी सोमेश्वर यति दास महाराज ने बताया कि शिवरात्रि के पर्व पर भोले शंकर को जल शहद दूध और शर्करा से पूजा जाता है क्योंकि शिव को भोले भी कहा जाता है इसलिए शिव शंकर बहुत ही सहज भाव से भक्तों के द्वारा की हुई आराधना से प्रसन्न होते हैं।
बता दें कि भगवान शिव की अपार शक्ति और भक्ति का पर्व महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, इस साल यह तिथि पहली मार्च को पड़ी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कई लोग धार्मिक अनुष्ठान और रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं। मान्यता है कि इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने का विशेष महत्व होता है। मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन अधिकांश घरों में लोग शिवजी का व्रत करते हैं और शाम को फलाहार करके व्रत पूरा करते हैं। कई स्थानों पर शिव बारात निकाली जाती है।
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