Karakum Desert: इस कारण कहा जाता है इसे नर्क का द्वार
Karakum Desert: इस दुनिया में कई अजीबो- गरीब चीज़े घटती रहती हैं, कभी इन घटनाओं के पीछे किसी इंसान का हाथ होता है तो कभी प्रकृति का। इन्हीं घटनाओं में से एक घटना घटी थी करीबन 52 साल पहले जब धरती पर नर्क के द्वार (Karakum Desert) का निर्माण हुआ था।
ये नर्क का द्वार तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान (Karakum Desert) में स्थित है जहां 70 के दशक में नर्क के इस द्वार का निर्माण हुआ था। आपको बता दें कि 1971 में वैज्ञानिकों का एक समूह तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान (Karakum Desert) पहुंचा प्राकृतिक गैस पर शोध करने के लिए।
इन वैज्ञानिकों द्वारा काराकुम रेगिस्तान (Karakum Desert) में एक गड्ढ़ा खोदा गया। इस गड्ढ़े को खोदने के लिए यहां बड़ी- बड़ी मशीने लगाई गईं और फिर जमीन के अंदर खुदाई शुरु कर दी गई। ये खुदाई कुछ दिनों तक चली मगर एक दिन जमीन का एक बड़ा हिस्सा नीचे धंसने लगा, जिससे एक विशाल गड्ढ़े का निर्माण हो गया, इसी विशाल गड्ढ़े को नर्क का द्वार (Karakum Desert) कहा जाता है।
ये गड्ढ़ा 60 फीट गहरा और 130 फीट चौड़ा था। जब वैज्ञानिक इस गड्ढे के पास गए तो उन्होंने देखा कि इस गड्ढे से लगातार मिथेन गैस निकल रही थी जिसके बाद वैज्ञानिकों ने दिमाग लगाया कि अगर इस गैस को जलाया जाए तो कुछ ही समय बाद ये गैस जल जलकर खत्म हो जाएगी और फिर आग बुझ जाएगी।
वैज्ञानिकों ने कई दिनों तक इस आग पर नजर रखी मगर आग बुझी नहीं, इसके बाद कुछ साल भी बीत गए लेकिन फिर भी आग नहीं बुझी और आज 52 साल हो चुके हैं लेकिन आजतक ये आग नहीं बुझी। इस जगह (Karakum Desert) पर इतनी मिथेन गैस है कि ये आजतक खत्म ही नहीं हुई है।
इस गड्ढ़े में से बड़ी बड़ी आग की लपटें निकलती है और यही कारण है कि इस गड्ढ़े को नर्क का द्वार (Karakum Desert) कहा जाता है। ये गड्ढ़ा इतना डरावना है कि वैज्ञानिक तक इसमें झांकने का प्रयास नहीं करते हैं। वहीं तुर्कमेनिस्तान सरकार द्वारा इस गड्ढ़े को कई बार भरने की कोशिश की गई लेकिन इस गड्ढ़े को नहीं भरा जा सका।
पूरे 52 सालों से इस गड्ढ़े में से बड़ी बड़ी आग की लपटें नकल रही हैं और लोगों का मानना है कि इस प्रकार आग की लपटें केवल नर्क में ही पाईं जाती हैं, यही कारण है कि लोगों द्वारा इस गड्ढ़े को नर्क का द्वार (Karakum Desert) नाम दिया गया है। इस विशालकाय आग के गड्ढ़े देखने के लिए अब दूर दूर से लोग यहां आते हैं। जो भी व्यक्ती इस नर्क के द्वार को देखने जाता है उनका केवल यही कहना होता है कि ये सचमुच धरती पर एक नर्क की तरह दिखाई देता है और यहां से हर वक्त मिथेन गैस की बदबू आती रहती है।
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