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इस मंदिर में भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं को दी जाती है थर्ड डिग्री!

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devbhoomi

एक ऐसा मंदिर जहां पर लोग भूत प्रेत उपरी बाधाओं के निवारण के लिए आते हैं. लोगों की आस्था है कि यहां से लोग बिना दवा के स्वस्थ होकर लौटते हैं.

भक्तों में मान्यता है कि इस स्थान पर हनुमानजी जागृत अवस्था में विराजते हैं। जिन व्यक्तियों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं का वास होता है, वे यहां की प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर में प्रवेश करने से ही चीखने-चिल्लाने लगते हैं और फिर वे बुरी आत्माएं, भूत-पिशाच आदि पीड़ितों के शरीर से बाहर निकल जाती हैं। कहा जाता है कि यहां आने वाले किसी भक्त पर यदि भूत प्रेत का साया हो तो, वह दूर हो जाता है। ये चमत्कार कैसे होता है, यह कोई नहीं जानता है? लेकिन लोग सदियों से भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं।

मंदिर से जुडी कहानी है कि यहां तीन देवों की प्रधानता है— श्री बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल (भैरव)। यह तीन देव यहां आज से लगभग 1000 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इनके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस स्थान पर सेवा-पूजा कर चुके हैं. शुरुआत में मेहंदीपुर धाम में घना जंगल हुआ करता था और यहां जंगली जानवरों का वास था। सुनसान होने के कारण यहां चोर-डाकुओं का भी डर था। ऐसे में आम आदमी की पहुंच इस जगह से काफी दूर थी।

मुस्लिम शासनकाल में कुछ बादशाहों ने इस मूर्ति को नष्ट करने की कुचेष्टा की, लेकिन वे असफल रहे। वे इसे जितना खुदवाते गए मूर्ति की जड़ उतनी ही गहरी होती चली गई। थक हार कर उन्हें अपना यह कुप्रयास छोड़ना पड़ा। ब्रिटिश शासन के दौरान सन 1910 में बालाजी ने अपना सैकड़ों वर्ष पुराना चोला स्वतः ही त्याग दिया। भक्तजन इस चोलें को लेकर समीपवर्ती मंडावर रेलवे स्टेशन पहुँचे, जहाँ से उन्हें चोले को गंगा में प्रवाहित करने जाना था। ब्रिटिश स्टेशन मास्टर ने चोले को निःशुल्क ले जाने से रोका और उसका लगेज करने लगा, लेकिन चमत्कारी चोला कभी ज्यादा हो जाता और कभी कम हो जाता।

पूरी जानकारी के लिये ऊपर दिये गये वीडियो पर क्लिक करें

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