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Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022 : जानिए कैसे हुआ भगवान गणेशजी का जन्म?

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Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022

भगवान श्री गणेश जी के जन्म के मौके पर गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में सबसे पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है। गणेश को धन, ज्ञान विज्ञान, बुद्धि के देवता के रुप में जाना जाता है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान गणेश जी की तीन व्रत कथा।

लोककथा-1

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022 : यूं तो Ganesh Chaturthi के व्रत को लेकर कईं सारी कहानियां प्रचलित है। एक कथा के अनुसार एक बार देवता घोर संकट में आ गए। तो वह भोलेनाथ से सहायता के लिए उनके पास गए। उस वक्त भगवान गणेश और कार्तिकेय दोनों ही अपने पिता यानी की भोलेनाथ के साथ बैठे हुए थे।

देवताओं की पीड़ा सुनकर भगवान ने अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय से पूछा कि तुम दोनों में से कौन देवताओँ की समस्या को दूर कर सकते हैं, अपने पिता की बात सुनकर श्री गणेश कार्तिकेय दोनों ही देवताओं की समस्या को हल करने के लिए सामने खड़े हो गए।

यह देखकर भगवान ने उन दोनों की परीक्षा लेने की सोची और उन्हें सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाने को कहा।  पिता भोलेनाथ की बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी के चक्कर लगाने निकल पड़े, लेकिन भगवान श्री कृष्ण अपने वाहन मूषक के साथ कहीं नही गए।

उन्होंने अपने माता पिता के सात चक्कर लगाए और वहां बैठ गए, यह देखकर भगवान  भोलेनाथ जी ने उनसे पूछा कि वो पृथ्वी के चक्कर लगाने क्यों नहीं गए, तब उन्होंने कहा कि माता पिता के चरणों में समस्त संसार होता है। ये सुनकर भगवान शिव गणेश जी को देवताओं के साथ उनकी समस्या का निधान करने भेज देते हैं।

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022
Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022

(Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022) दूसरी कथा

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022 : माना जाता है कि माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वार पाल बना दिया था, शिवजी ने जब प्रवेश करना चाहा तो बालक ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवगणों ने बालक से भयंकर युद्ध किया परंतु संग्राम में उसे कोई पराजित नहीं कर पाया, अंत में भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से बालक का सिर काट दिया, इससे माता क्रोधित हो उठी और उन्होंने प्रलय करने की ठान ली, भयभीत देवताओं ने देवर्षिनारद की सलाह पर जगदम्बा की स्तुति करके उन्हें शांत किया।

पूजा करती हुई महिला

शिवजी के निर्देश पर विष्णुजी उत्तर दिशा से सबसे पहले मिले जीव यानी की हाथी का सिर काटकर ले आए, मृत्युंजय रुद्र ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जिवित कर दिया। इसके बाद माता पार्वती ने उस गज मुख वाले बालक को अपने हृदय से लगाया और देवताओं का धन्यवाद किया, उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान दिया। भगवान शंकर ने बालक से कहा-गिरिजानन्दन! विघ्न नाश करने में तेरा नाम सर्वोपरि होगा। तू सबका पूज्य बनकर मेरे समस्त गणों का अध्यक्ष हो जा। गणेश्वर तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा के उदित होने पर उत्पन्न हुआ है। इस तिथि में व्रत करने वाले के सभी विघ्नों का नाश हो जाएगा और उसे सब सिद्धियां प्राप्त होंगी। कृष्णपक्ष की चतुर्थी की रात्रि में चंद्रोदय के समय गणेश तुम्हारी पूजा करने के पश्चात् व्रती चंद्रमा को अर्घ देकर ब्राह्मण को मिष्ठान खिलाए। तदोपरांत स्वयं भी मीठा भोजन करे। वर्ष पर्यन्त श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

(Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022) तीसरी कथा

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022 : एक बार महादेवजी, पार्वती सहित नर्मदा नदी के तट पर गए। वहां एक सुंदर स्थान पर पार्वती जी ने महादेव के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा व्यक्त की।  तब शिवजी ने कहा कि हमारी हार जीत का साक्षी कौन होगा? उसी समय पार्वती ने वहां की घास के तिनके बटोरकर एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर कर उससे कहा कि बेटा हम चौपड़  खेलना चाहते हैं किंतु यहां हार जीत का कोई साक्षी नहीं हैं लेकिन चलते तुम हमें बताना का कौन जीता कौन हारा?

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022

खेल शुरू हुआ और तीनों बार पार्वती ही जीती, जब अंत में बालक ने निर्णय लिया तो महादेव जी को विजयी बताया, जिसके बाद मां पार्वती क्रोध हो गई और उसे एक पांव से लंगड़ा होने और कीचड़ में रहकर दुख भोगने का श्राप दिया. बालक ने कहा कि मां मुझसे अज्ञानतावश ऐसा हो गया है कृपया मुझे क्षमा कर दो मैने ये जानबूझकर नहीं किया है,तब मां को उस पर दया आ गई और वे बोली यहां नाग कन्याए गणेश पूजन करने आएंगी, उनके उपदेश से तुम गणेश व्रत करके मुझे प्राप्त करोगे इतना कहकर वो कैलाश चली गई।

फिर एक साल बाद श्रावण में नाग कन्याएं गणेश पूजन करने आईं।  नाग कन्याओं ने गणेश व्रत करके उस बालक को भी व्रत की विधि बताई, उसके बाद बालक ने 12 दिन तक श्री गणेश जी का व्रत किया, तब गणेश जी ने उसे दर्शन देकर कहा कि मैं तुम्हारे व्रत से प्रसन्न हूं मनोवांछित वर मांगो। तब बालक बोला कि मेरे पांव में इतनी शक्ति दो कि मैं कैलाश पर्वत अपनी मां से मिलने पहुंच सकूं और वे मुझ पर प्रसन्न हो जाए।

गणेश जी तथास्तु कहकर अंतर्धान हो गए। बालक भगवान शिव के चरणों में पहुंच गया, शिवजी ने उससे वहां तक पहुंचने के साधन के बारे में पूछा तब बालक ने सारी कथा शिवजी को बता दी, उधर उसी दिन से अप्रसन्न होकर मां पार्वती शिवजी से नाराज हो गई थी, उसी के बाद बालक की तरह शिवजी ने भी गणेश जी का व्रत किया, जिसके बाद पार्वती के मन में स्वयं ही महादेवजी से मिलने की इच्छा जाग्रत हुई। वे शीघ्र ही कैलाश पर्वत पहुंच गई। वहां पहुंचने पर पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आपने कौन सा उपाय किया की मैं आपके पास भागी भागी-भागी आ गई हूं।

Ganesh Chaturthi Vrat Katha 2022

उसके बाद शिवजी ने गणेश व्रत के बारे में मां पार्वती को बताया, तब पार्वती ने कार्तिकेय से मिलने की इच्छा से 21 दिन तक 21-21 संख्या में दूर्वा,पुष्प और लड्डुओँ से गणेशजी का पूजन किया। 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं ही पार्वती जी से आ मिले, उन्होंने भी मां के मुख से इस व्रत का महता सुनकर व्रत किया, फिर कार्तिकेय ने यही व्रत विश्वामित्रजी को बताया,विश्वामित्रजी ने व्रत करके गणेशजी से जन्म से मुक्त होकर बह्रा-ऋषि होने का वर मांगा, गणेशजी ने उनकी मनोकामना पूर्ण की,ऐसे ही  भगवान गणेश हर किसी मनोकांमना पूर्ण करते हैं।

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