/ Apr 26, 2025
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CM DHAMI ने आज सचिवालय में उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी की सामान्य समिति की 10वीं बैठक में भाग लिया। बैठक की शुरुआत में दो मिनट का मौन रखकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी गई। इस बैठक के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा को केवल एक पारंपरिक विषय के रूप में नहीं बल्कि रोजगार से जोड़ने वाले विषय के रूप में विकसित करना चाहती है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि यज्ञ, कर्मकांड और वेद से संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए जाएं ताकि युवा इन विषयों को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को 16 संस्कारों का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। इसके पहले चरण में 100 बच्चों को प्रशिक्षित किया जाएगा और फिर हर वर्ष एक निश्चित संख्या में युवाओं को यह प्रशिक्षण देने का लक्ष्य तय किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि संस्कृत भाषा में शिक्षण, लेखन और इसके संरक्षण-संवर्धन के लिए काम करने वाले लोगों को हर साल सम्मान राशि दी जाए ताकि उनकी मेहनत को सराहा जा सके।
CM DHAMI ने कहा कि उत्तराखंड योग, आयुष, ऋषि-मुनियों और संस्कृत की पवित्र भूमि है। इसलिए राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत को तेजी से आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्कूल और कॉलेजों में संस्कृत भाषा में वाद-विवाद, निबंध लेखन और श्लोक प्रतियोगिताएं कराई जाएं। जिलों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी सरकारी दफ्तरों की नामपट्टिकाएं संस्कृत में भी लगाई जाएं।
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उन्होंने सुझाव दिया कि संस्कृत के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का अध्ययन किया जाए और उन्हें उत्तराखंड में लागू किया जाए। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संस्कृत को स्कूलों में और प्रभावी तरीके से जोड़ा जाए। इस बैठक में संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार, सचिव वी. षणमुगम, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री, अपर सचिव ललित मोहन रयाल समेत समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
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