/ Nov 14, 2025

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आज से सात दिवसीय गौचर मेला 2025 की शुरुआत, सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास का है केंद्र

GAUCHAR MELA 2025: चमोली जिले के गौचर में आज 14 नवंबर 2025 को प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक व सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल गौचर मेला 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया। यह आयोजन 21 नवंबर तक चलेगा, जिसे औद्योगिक विकास एवं ग्रामीण हस्तशिल्प को बढ़ावा देने वाला बहुआयामी मेला माना जाता है। अलकनंदा नदी के किनारे स्थित गौचर मैदान, जो राष्ट्रीय राजमार्ग-7 पर स्थित है, एक सप्ताह तक सांस्कृतिक गतिविधियों, व्यापार प्रदर्शनी और स्थानीय उत्पादों के केंद्र में रहेगा। मेला समिति का कहना है कि यह आयोजन न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और सामुदायिक एकता को भी मजबूत करता है।

GAUCHAR MELA 2025
GAUCHAR MELA 2025

GAUCHAR MELA 2025 की पारंपरिक पूजा और प्रभात फेरी के साथ शुरुआत

मेले की शुरुआत वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार ईष्ट रावल देवता की पूजा से हुई। इसके बाद स्कूली बच्चों की प्रभात फेरी ने पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल बना दिया। उद्घाटन समारोह में मेलाध्यक्ष और जिलाधिकारी गौरव कुमार ने ध्वजारोहण किया। इस दौरान प्रशासन और मेला समिति की ओर से सलामी दी गई। इसके साथ ही उद्घाटन दिवस पर क्रॉस कंट्री रेस का आयोजन भी हुआ, जो गौचर मेला मुख्य द्वार से चटवापीपल पुल तक और वापस आयोजित की गई। ये कार्यक्रम मेले की सामुदायिक भागीदारी और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

GAUCHAR MELA 2025
GAUCHAR MELA 2025

गौचर मेले का 80 से अधिक वर्षों का समृद्ध इतिहास

यह ऐतिहासिक मेला 14 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर 2025 तक चलेगा। गौचर मेला केवल एक सांस्कृतिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह उद्योग, व्यापार और संस्कृति के समन्वय का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस सात दिवसीय आयोजन में विभिन्न सरकारी विभाग अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए स्टॉल लगाते हैं। साथ ही, स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए एक बड़ा मंच मिलता है। मेले के दौरान हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा, जिसके लिए जिला प्रशासन ने रूट डायवर्जन समेत सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं।

GAUCHAR MELA 2025
GAUCHAR MELA 2025

गौचर मेले का एक समृद्ध इतिहास रहा है। इस मेले की शुरुआत ब्रिटिश काल में साल 1943 में तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर मिस्टर बर्नेडी द्वारा की गई थी। उस समय इसका मुख्य उद्देश्य भारत और तिब्बत के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना था। यह मेला सीमांत क्षेत्रों के व्यापारियों के लिए ऊन, पश्मीना, शिलाजीत, कस्तूरी और अन्य औषधीय जड़ी-बूटियों के व्यापार का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। गौचर का समतल मैदान होने के कारण यह व्यापारिक गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थान था।

GAUCHAR MELA 2025
GAUCHAR MELA 2025

साल 1962 में भारत-चीन संघर्ष के बाद तिब्बत के साथ होने वाला यह पारंपरिक व्यापार बंद हो गया। हालांकि, मेले का महत्व कम नहीं हुआ और इसने अपना स्वरूप बदल लिया। स्वतंत्रता के बाद, इस मेले को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन (14 नवंबर) के अवसर पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया। तब से, यह मेला एक व्यापारिक मेले से बदलकर एक वृहद राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले के रूप में स्थापित हो गया है, जो आज भी उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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