/ Nov 06, 2025
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TUNGNATH TEMPLE CLOSING: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित पंचकेदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट आज विधि-विधान और परंपरागत रीति से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह से आरंभ हुए इस धार्मिक समारोह में वैदिक मंत्रोच्चार, विशेष पूजा-अर्चना और आरती के साथ गर्भगृह के द्वार विधिवत बंद किए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ स्थित मर्कटेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई। इस यात्रा सीजन में तुंगनाथ धाम में कुल 1.70 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है।

मक्कूमठ, ऊखीमठ तहसील में स्थित है और पंचकेदार यात्रा का अभिन्न अंग है। यही वह स्थान है जहां शीतकाल में भगवान तुंगनाथ की गद्दी स्थापित की जाती है। यहां पूरे सर्दी भर दैनिक पूजा, आरती और विशेष पर्व मनाए जाते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह आयोजन श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है। तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही पंचकेदार यात्रा का यह चरण समाप्त हो गया है। इससे पहले केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद किए जा चुके हैं, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को बंद होने की संभावना है। शीतकाल के दौरान भक्त मक्कूमठ और ऊखीमठ में भगवान के दर्शन कर सकेंगे।

तुंगनाथ धाम समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। यह चंद्रशिला शिखर की तलहटी में स्थित है। इस वर्ष मंदिर के कपाट 2 मई 2025 को खोले गए थे, और अब छह माह के लिए शीतकालीन विराम प्राप्त कर लिया है। अप्रैल या मई 2026 में कपाट पुनः खुलने की संभावना है। बर्फबारी और कठोर मौसम के कारण यह मंदिर सर्दियों में बंद रखा जाता है। चोपता से तुंगनाथ तक की 3.5 किलोमीटर लंबी पैदल ट्रेकिंग मार्ग पर इस वर्ष रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भीड़ के कारण स्थानीय प्रशासन को सुरक्षा और सफाई व्यवस्था बनाए रखने में विशेष सतर्कता बरतनी पड़ी।

हेमकुंट साहिब के कपाट शीतकाल के लिए बंद, इस बार रिकॉर्ड श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
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