/ Nov 05, 2025
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HARIDWAR KARTIK PURNIMA: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि आज सुबह से प्रारंभ हो चुकी है, जो 4 नवंबर की रात 10:36 बजे से शुरू हुई थी। इस पावन अवसर पर उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी घाट पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ उमड़ पड़ी है। तड़के 3:50 बजे से ही गंगा स्नान का शुभारंभ हुआ, और अब तक लाखों भक्त पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। प्रशासन ने शाम तक 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान की संभावना जताई है।

कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। “हर हर गंगे” और “जय मां गंगे” के जयकारों से पूरा हरिद्वार गूंज रहा है। हरकी पैड़ी, कुशावर्त घाट, भीमगोड़ा, चंडी घाट और रामघाट सहित सभी प्रमुख घाटों पर भक्तों की भीड़ चरम पर है। आधी रात से ही श्रद्धालु परिवारों सहित घाटों की ओर निकलने लगे थे, और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आरंभ हो गया था। मंगलवार रात देव दीपावली के अवसर पर घाटों पर लाखों दीपक जलाए गए, जिससे गंगा तटों का दृश्य दिव्य और आलोकित हो उठा। आतिशबाजी और दीपदान ने वातावरण को और भव्य बना दिया।

हरिद्वार प्रशासन ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान को देखते हुए सुरक्षा के सख्त प्रबंध किए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को 11 जोन और 36 सेक्टरों में बांटा गया है। जल पुलिस की छह टीमें, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और फ्लड रेस्क्यू यूनिट्स को घाटों पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की डूबने की घटना से बचा जा सके। ड्रोन कैमरों और अतिरिक्त सीसीटीवी से लगातार निगरानी की जा रही है। बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्वाड और खुफिया इकाइयां संवेदनशील स्थानों पर गश्त कर रही हैं। ट्रैफिक रूट डायवर्ट कर दिए गए हैं, और हरकी पैड़ी से बाहरी पार्किंग तक कई चेकिंग पॉइंट्स स्थापित हैं। महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों की विशेष तैनाती की गई है।

कार्तिक पूर्णिमा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरकर काशी (वाराणसी) के घाटों पर दीप जलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, इसे ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी शुभ तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक राक्षस का वध करके देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने दीपमालाएँ सजाई थीं, जिसके कारण भगवान शिव ‘त्रिपुरारी’ के नाम से भी पूजित हुए।

इस पवित्र दिन का संबंध भगवान विष्णु से भी है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्य (मछली) अवतार लिया था। इसलिए, भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को ‘गंगा स्नान पर्व’ के रूप में भी अत्यंत महत्व दिया जाता है। इस दिन गंगा नदी या किसी भी पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने का विशेष विधान है,और यह माना जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य के सभी संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और उसकी आत्मा शुद्ध होकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर होती है।

इस तिथि पर दीपदान करने का भी विशेष महत्व है; लोग घरों के अंदर और बाहर, विशेष रूप से तुलसी के पौधे के पास और नदी के घाटों पर दीपक जलाते हैं, जिसे अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। सिख धर्म के लिए भी यह दिन विशेष है, क्योंकि यह सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व भी होता है। इस पवित्र तिथि पर किया गया दान-पुण्य सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल प्रदान करता है, इसलिए भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

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