पारदर्शी व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध क्या ये विभाग बन गया है भ्रष्टाचारियों का अड्डा, सीएम तक पहुंचा मामला

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हरिद्वार (संवाददाता- अरुण कश्यप) : कभी अपनी पारदर्शी व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध रहने वाला प्रदेश का उत्तराखंड जल संस्थान आज भ्रष्टाचारियों का बड़ा अड्डा बन चला है, खुद विभाग के आला अधिकारी विभाग को दीमक की तरह चाट रहे हैं, और धीरे धीरे खोखला कर रहे हैं, वैसे तो वर्तमान समय में उत्तराखंड जल संस्थान में घोटालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, लेकिन हाल ही में एक ऋषिकेष और देहरादून निवासी अलग अलग व्यक्तियों द्वारा की गई शिकायत के बाद भ्रष्टाचार का बड़ा मामला निकल कर सामने आया है।

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आपको बता दें कि विभाग के आला अधिकारी बड़े पैमाने की मुनाफाखोरी के चलते खुद ही विभाग में ठेकेदारी कर रहे हैं और मनचाहे तरीके से सरकारी धन की बंदरबांट पर तुल गए हैं, पिछले दिनों जल संस्थान में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां विभाग के आला अधिकारियों ने अपने सगे संबंधियों को ही विभाग में ठेकेदार बना दिया और फिर मनचाहे तरीके से उल्टे तरीके सीधे काम कर मनचाहा भुगतान भी प्राप्त किया।

खास रिपोर्ट में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह डबल इंजन की सरकार के मातहत ही सरकार के जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार के एजेंडे को पलीता लगाते आए हैं। मामला उत्तराखंड जल संस्थान के प्रभारी अधीक्षण अभियंता से संबंधित है, इस अधिकारी ने अपने सगे भाई के नाम पर फर्म बनाकर मनमाने तरीके से विभाग के पैसे को लूटने का काम किया है, केवल यही नहीं बल्कि उसने अपने भतीजे के नाम पर भी दूसरी फर्म पंजीकृत करा कर करोड़ों के वारे न्यारे कर लिए।

आपको बता दें कि वर्तमान समय में उत्तराखंड जल संस्थान में देहरादून नगर के प्रभारी अधीक्षण अभियंता पद पर तैनात विनोद चंद्र रमोला ने अपने सगे भाई प्रकाश चंद्र रमोला के नाम पर हिमायती एसोसिएट्स नाम की एक फर्म बनाकर उससे करोड़ों रुपए के काम कराएं। शिकायतकर्ता ने बताया कि विनोद चंद्र रमोला सरकारी नियमों का मखौल उड़ाते हुए लगातार अपने परिवार और निकट संबंधियों को कार्य का आवंटन करा कर अब तक करोड़ों रुपए के सरकारी धन को खुर्द बूर्द कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड जल संस्थान की रायपुर डिवीजन में पहले सहायक अभियंता और उसके बाद वहीं अधिशासी अभियंता के पद पर रहने वाले विनोद चंद्र रमोला ने धन बल के आधार पर अधीक्षण अभियंता पद पर भी कब्जा कर लिया। उनके भाई प्रकाश चंद रमोला ने हिमायती एसोसिएट्स नाम की एक फर्म बनाई जिसमें वो 75% की हिस्सेदार भी है।

प्रकाश चंद्र रमोला राजनीति में भी सक्रिय हैं और एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक इनके सगे जीजा भी हैं। इसके अलावा खुद प्रकाश चंद रमोला भी राजनीति में सक्रिय है, जिसके बल पर यह इस बड़े मामले पर अभी तक पर्दा डालते आए हैं, मुख्यमंत्री, विभाग के सचिव के साथ साथ उत्तराखंड जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक राज्यपाल और मुख्यमंत्री को दिए गए।

शिकायती पत्र में शिकायतकर्ता ने बताया कि दो फर्मों में एक ही अभियंता को ही तैनात दिखाया गया है, जबकि एक व्यक्ति दो जगह कैसे कार्यरत हो सकता है। यह सोचनीय विषय है कि शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस अभियंता को कितना कितना वेतन किन किन खातों में दिया गया, इसकी भी जांच आवश्यक है, दोनों फर्मों को विभाग में पंजीकरण के पश्चात रायपुर डिवीजन के 2011 से अब तक करीब 80% कार्य आवंटित किए गए है,  जिनमें की पूरी तरह विभागीय नियमों की अनदेखी की गई है, केवल यही नहीं बल्कि इनके द्वारा बड़े पैमाने की आयकर चोरी भी की गई है जिसके सभी साक्ष्य भी मौजूद है।

शिकायतकर्ता ने विनोद चंद रमोला के परिवार के सदस्यों और खुद उनके नाम से करोड़ों रुपए की संपत्ति होने की आशंका भी जताई है, जिसके लिए उन्होंने उनकी सम्पत्ति की जांच की मांग भी की है। वहीं विनोद चंद रमोला की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए शिकायतकर्ता ने बताया कि वो राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं जिसके कारण करीब 11 वर्षो से वह एक ही जनपद में तैनात है, उन्होंने आशंका जताई कि विभाग के आला अधिकारी भी कहीं ना कहीं विनोद चंद रमोला के दबाव में यदि इस विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच होती है तो जांच को गोलमोल करने का पूरा प्रयास विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।

इसलिए शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस मामले की जांच किसी तीसरी एजेंसी द्वारा की जानी चाहिए। आपको बता दें कि हिमायती एसोसिएट्स उत्तराखंड जल संस्थान में ‘ए” श्रेणी में पंजीकरण वर्ष 2017-18 में किया गया था जबकि ‘ए” श्रेणी में पंजीकरण के लिए बीस- बीस लाख के 5 कार्यों का किया जाना अनिवार्य है, जबकि हिमायती एसोसिएट्स नाम की फर्म का बैलेंस शीट का कुल टर्नओवर ही उस समय 40 लाख से कम था जब इसे  “ए” श्रेणी में पंजीकृत किया गया, हिमायती एसोसिएट का पंजीकरण भी गलत प्रमाण पत्रों के आधार पर कराया गया है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों पौड़ी में जल संस्थान में तैनात एक सहायक अभियंता राकेश कुमार वर्मा को इस लिए सस्पेंड कर दिया था क्योंकि उस डिवीजन में उसका बेटा ठेकेदारी करता था, अब देखना होगा कि विभागीय अधिकारी इस गंभीर मामले का संज्ञान लेकर इस भ्रष्ट अभियंता के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई करते हैं या फिर बड़ी पहुंच वाले इस अभियंता के आगे नतमस्तक हो जाएंगे।

फिलहाल मुख्य मंत्री द्वारा विभाग के मुख्य महा प्रबंधक को इस मामले की जांच सौंपी गई जिसके बाद मुख्य महा प्रबंधक द्वारा गढ़वाल परिक्षेत्र के महा प्रबंधक सुबोध कुमार को इस मामले की जांच सौंपी गई है। मुझे विभाग द्वारा इस मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है करीब एक महीने में यह जांच पूरी हो जाएगी, उसके बाद यदि विनोद चंद्र रमोला दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ विभाग के उच्चाधिकारी करवाई करेंगे।

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