सतपाल महाराज के इस आदेश को अधिकारियों ने क्यों दबाया, जानिए पूरा प्रकरण

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देहरादून ब्यूरो। लोक निर्माण विभाग देहरादून में 2020 में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था जो अबतक सुलझने का नाम ही नही ले रहा है। यहां एक महिला कर्मचारी ने विभाग के मुख्य अभियंता अयाज अहमद पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।

इस पर 7 जनवरी को कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को विशाखा गाइडलाइन के अनुसार मुख्य अभियंता पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर तत्काल जांच आख्या सहित पत्रावली प्रस्तुत करने के आदेश दिए। मगर बावजूद इसके अब यौन उत्पीड़न के मुख्य आरोपी अयाज अहमद के प्रोमोशन की तैयारियां हो चुकी है। साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि अधिकारियों द्वारा कैबिनेट मंत्री के आदेश को तवज्जो नही दी जा रही है या फिर अयाज अहमद को बचाने के लिए आदेश को जानबूझ कर अनदेखा किया जा रहा है और अब आचार संहिता लगने के बाद अयाज की डीपीसी की भी तैयारी शुरू कर दी गई है।

महिला का आरोप है कि अयाज अहमद ने उसे अपने कैबिन में बुलाकर उसके साथ छेड़छाड़ की। वहीं उसके द्वारा शिकायत करने पर सिर्फ नाम के लिए एक आंतरिक कमेटी का गठन किया गया, जिसमें जांच कर रहे सभी लोग अयाज अहमद से पद में जूनियर थे जिसके कारणवश कोई भी अयाज के खिलाफ ठोस कदम नही उठा पाया। बता दें कि तत्कालीन मुख्य अभियंता हरिओम शर्मा ने एक इंटरनल कमेटी का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट 3 दिन के अंदर मांगी गई थी। इस कमेटी का निर्देशन अशोक कुमार कर रहे थे, जिसमें लीगल सेल की कार्मिका अर्चना और वरिष्ठ सदस्य प्रेमलता और भावना उप्रेती शामिल थे।  

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