Home धार्मिक कथाएं इसी स्थान पर हुआ था वीरभद्र महादेव का जन्म, जानें कैसे?

इसी स्थान पर हुआ था वीरभद्र महादेव का जन्म, जानें कैसे?

0
Veerabhadra Temple Rishikesh

Veerabhadra Temple Rishikesh: यहां विराजमान है भगवान शिव का उग्र रुप

Veerabhadra Temple Rishikesh: भगवान शिव का वो मंदिर जहां उनका उग्र रूप यानी की वीरभद्र रूप विराजमान है। ये मंदिर (Veerabhadra Temple Rishikesh) उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित है जहां की एक पौराणिक मान्यता है। ऐसी मान्यता है कि इसी जगह पर दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया था।

इस यज्ञ में सती और भगवान शिव को न्योता नहीं दिया गया था। यज्ञ के बारे में जब माता सती को पता चला तो उन्होंने भगवान शिव से यज्ञ में शामिल होने की बात कही। अब बिना न्योते के भगवान शिव ने यज्ञ में जाने से इंकार कर दिया मगर माता सती अपने पिता द्वारा कराये जा रहे यज्ञ में शामिल होने की जिद पकड़ चुकी थीं, जिसके बाद भगवान शिव ने अपने दो गणों के साथ माता सती को उनके पिता के घर यज्ञ में शामिल होने के लिए भेज दिया।

अब माता सती जैसे ही यज्ञ स्थल पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां पर तो भगवान शंकर के लिए आसन तक नहीं रखा गया है। इस बात से आहत होकर माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो इस पर दक्ष प्रजापति भगवान शिव के लिए ही गलत शब्दों का प्रयोग करने लगे।

ये भी पढ़ें:
Yamraj Mandir
इस मंदिर में प्रवेश करने से क्यों डरते हैं लोग? वजह जान रह जाएंगे हैरान

पिता के मुख से अपने पति के लिए ऐसी बाते सुनकर माता सती अत्यंत दुखी हुईं और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में ही आत्मदाह कर लिया। इस बात की सूचना शिव गणों ने भगवान शिव को दी जिसके बाद शिव जी अत्यंत क्रोधित हो उठे और इस क्रोध से जन्म हुआ वीरभद्र (Veerabhadra Temple Rishikesh) का।

भगवान शिव की आज्ञा लेने के बाद वीरभद्र (Veerabhadra Temple Rishikesh) यज्ञस्थल पहुंचे और गुस्से में आग बबूला वीरभद्र ने यज्ञस्थल का विनाश कर दिया और ऐसा करने के बाद वह वापिस भगवान शिव के शरीर में समा गए। क्योंकि इसी स्थान (Veerabhadra Temple Rishikesh) पर वीरभद्र ने यज्ञस्थल का विनाश किया था इसी कारण इस जगह और मंदिर का नाम पड़ा वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple Rishikesh).   

इस प्राचीन वीरभद्र मंदिर (Veerabhadra Temple Rishikesh) में रोज हजारों की संख्या में भक्त आते हैं और भगवान शिव के उग्र रूप के दर्शन करते हैं। आपको बता दें कि मंदिर परिसर से करीबन 50 मीटर की दूरी पर एक दूसरा शिवलिंग भी मौजूद है। इस शिवलिंग को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा 70 के दशक में खोजा गया था।

ये भी पढ़ें:
इस मंदिर में जलाई जाती है चिता की अग्नी से आरती की ज्योत

दरअसल इस मंदिर (Veerabhadra Temple Rishikesh) का इतिहास तो करीबन 2000 साल पुराना है मगर 1973 से 1975 के बीच भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर के पास खुदाई का कार्य शुरु किया गया था जिसमें उन्हें कई अवशेष मिले थे, इनमें मुख्य तौर पर शिवलिंग था और यज्ञशाला थी।

इस स्थान पर चौकोर दीवारें भी हैं और साथ ही यहां पुरानी नक्काशी भी देखने को मिलती हैं जिससे ये साफ होता है कि यहां कभी मंदिर हुआ करता था।

इस जगह (Veerabhadra Temple Rishikesh) को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित करके रखा गया है, जिसकी सुरक्षा हेतु उस स्थान पर चारों ओर से दीवार की गई है, इसके साथ ही इस स्थान पर एक चेतावनी बोर्ड भी लगाया गया है जिस पर लिखा गया है कि परिसर के भीतर किसी भी चीज़ से छेड़छाड़ करना सख्त मना है। साथ ही इस प्राचीन मंदिर (Veerabhadra Temple Rishikesh) की निगरानी करने के लिए यहां एक गार्ड की भी तैनाती की गई है।   

ये भी पढ़ें:
इस मंदिर के कपाट बंद करने पर हो जाती है यहां अनहोनी

For latest news of Uttarakhand subscribe devbhominews.com

Exit mobile version