बाघ- बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने अब तक खर्च कर दिये 40 लाख रुपये

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Tiger Terror In Uttarakhand

Uttarakhand News: Tiger Terror In Uttarakhand: उत्तराखंड वन विभाग ने हल्द्वानी से लगे फतेहपुर रेंज में बाघ-बाघिन को पकड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया था जो बिना रुके हुए अभी तक लगातार जारी है। इस अभियान में वन विभाग ने अब तक 40 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं लेकिन उनके हाथ सफला नहीं लग पाई है। इस फतेहपुर रेंज में बाघ- बाघिन द्वारा सात लोगों को शिकार बनाये जाने के बाद यह अभियान शुरू हुआ था।

Tiger Terror In Uttarakhand: जनवरी में शुरू हुआ था अभियान

Tiger Terror In Uttarakhand

फतेहपुर रेंज में 29 दिसंबर 2021 को पहली बार एक व्यक्ति को बाघ और बाघिन ने अपना शिकार (Tiger Terror In Uttarakhand) बना दिया था। जिसके बाद एक जनवरी में वन विभाग ने इस रेंज में बाघ- बाघिन को ट्रेंकुलाइज के लिए अभियान शुरू कर दिया। लेकिन इस बीच घटना जारी रही और जून 2022 तक यहां सात लोगों को बाघ- बाघिन ने अपना निवाला बनाया। लेकिन तब से लेकर अब तक यहां बाघ- बाघिन का मूवमेंट लगातार जारी है।

सभी सात लोगों की मौत जंगल के अंदर हुई है इसलिए बाघ- बाघिन इन्हें नरभक्षी भी घोषित नहीं किया जा सकता है और ऐसी स्थिति में अभियान समाप्त होता है तो इंसानी जान को फिर से खतरा पैदा हो सकता है।

Tiger Terror In Uttarakhand: ऐसे हो रहा लाखों का खर्चा

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इस अभियान में वन विभाग ने यहां दो हाथी तैनात किये हुए हैं जिन्हें कार्बेट से लाया गया है। इसलिए दोनों हाथियों और उनके महावत पर अच्छा खासा खर्चा यहां हो रहा है। बाघ- बाघिन को पकड़ने के लिए सात पिंजरे लगे हैं जिनमें हर तीसरे दिन मांस बदलना पड़ रहा है। कई रेंज से यहां वनकर्मियों को तैनात किया गया है, इसलिए उनके रहने खाने पर खर्च हो रहा है। गश्ती टीम के वाहनों पर डीजल का खर्चा भी हो रहा है। इसके साथ ही यहां टेंट से लेकर ट्रेप कैमरों पर भी लाखों खर्च किया गया है।

Tiger Terror In Uttarakhand पहले भी एक अभियान पर 80 लाख खर्च हुए थे

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वन विभाग द्वारा बाघ को पकड़ने के लिए लाखों का खर्च करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2016 में भी वन विभाग ने रामनगर में एक बाघिन को पकड़ने लिए 80 लाख खर्च किये थे। रामनगर में तब एक बाघिन को नरभक्षी घोषित किया गया था। जिसे पकड़ने के लिए विशेषज्ञ शिकारी बुलाए गये थे, हेलीकॉप्टर तक की मदद ली गई थी। 44 दिनों तक अभियान चला था।