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कभी भाजपा, कभी कांग्रेस…सत्ता के लिए लालची नेताओं का ‘पलायन’!

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सत्ता की भूख के लिए माननीय चुनाव से पहले कर रहे अदला-बदली

देहरादून (संवाददाता): कभी कांग्रेस, कभी भाजपा…। कई नेताओं की सत्ता में काबिज होने की भूख उन्हें बार-बार पाला बदलने के लिए मजबूर करती रही है। कम कम से उत्तराखंड के हालात देखकर तो ऐसा ही लग रहा है। उत्तराखंड के कई ऐसे नेता विधानसभा चुनाव से पहले दल-बदली के लिए सुर्खियों में है। उत्तराखंड में वैसे बड़े स्तर पर राजनीतिक दल के नेताओं अदला-बदली पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में देखी गई थी जब कई मंत्री और विधायक कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद राज्य की सत्ता पर भी भाजपा ने ही कब्जा किया। पांच साल तक राज्य में सरकार चला रही भाजपा ने तीन-तीन मुख्यमंत्री भी बदले हैं। कहीं न कहीं नेताओं को अपने टिकट न मिलने और मिलने के बाद चुनाव न जीतने को पलायन आजकल राज्य के राजनीति गलियारों में सुर्खियों में है। कोई मोदी मैजिक की आड़ में चुनाव जीतने के ख्वाब देख रहा है तो कोई पार्टी के कैडर वोट का गणित।

अब विधानसभा चुनाव से चंद माह पहले उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, विधायक संजीव आर्य, पूर्व विधायक मालचंद, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण, ऊधमसिंह नगर जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ही 24 जिला पंचायत सदस्य समेत कई छोटे-बड़े नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसके अलावा निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार व राम सिंह कैड़ा, कांग्रेस विधायक राजकुमार समेत कई अन्य पार्टियों के नेता भाजपा में शामिल हुए हैं।

भाजपा सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की कई दिनों तक अटकलों का बाजार गर्म रहा। उनके मंत्री पद से इस्तीफे की खबर भी वायरल हुई। हालांकि उन्होंने अभी तक भाजपा से इस्तीफा नहीं दिया और न ही कांग्रेस ज्वाइन करने को लेकर कोई बयान दिया है। हरक सिंह रावत भी सत्ता के लिए अलग-अलग दलों में पलायन करते रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस और बसपा में रह चुके हरक सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र भी बदलते रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री व विधायक और पीसीसी चीफ रहे किशोर उपाध्याय की कांग्रेस से भाजपा ज्वाइन करने की चर्चाएं भी कई दिनों से चल रही हैं।

ऐसे ही पूर्व विधायक मालचंद और राजकुमार भी सत्ता के लिए दलों के साथ अदला बदली करते रहे हैं। मालचंद और राजकुमार दोनों निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हार का सामना कर चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस से जहां कैडर वोट मिलने की आस में मालचंद पार्टी में आए हैं वहीं राजकुमार पुरोला की बजाय देहरादून के राजपुर क्षेत्र से भी चुनाव मैदान में उतरने को लेकर चर्चाओं में हैं।

कुछ ऐसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण यमुनोत्री से चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस में शामिल हो गए। कहीं न कहीं उन्हें निर्दलीय मैदान में उतरने पर हार का डर सता रहा था। हालांकि अभी किसी भी प्रत्याशी के टिकट फाइनल नहीं हुए हैं। ऐसे में यमुनोत्री कांग्रेस में भी कैसे भीतरघात और आपसी मदभेदों से सत्ता में कामयाबी पाने के लिए दीपक को भी संघर्ष करना होगा। कुल मिलाकर चुनावी विसातें उत्तराखंड में बिछ रही हैं। शह और मात के खेल के बीच नेताओं की सत्ता में काबिज होने के लिए दल बदल का दौर जारी है।

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