Home ये भी जानिए क्यों बहता है ये झरना नीचे से ऊपर की ओर?

क्यों बहता है ये झरना नीचे से ऊपर की ओर?

0

Reverse Waterfall: क्या यहां गुरुत्वाकर्षण बल नहीं करता काम?

Reverse Waterfall: आप जब भी कहीं घूमने जाते हैं तो आपको एक न एक झरना तो ज़रूर दिखाई देता होगा, किसी किसी जगह पर तो आपने कई सारे झरने देखें होंगे, लेकिन क्या आपने कभी कोई ऐसा झरना देखा है जो ऊपर से नीचे की ओर नहीं बल्की नीचे से ऊपर की ओर बहता (Reverse Waterfall) है। ये जानकर आप भी हैरान हुए न, लेकिन ये बिलकुल सच है। भारत में एक जगह ऐसी भी मौजूद है जहां झरना नीचे से ऊपर की ओर बहता (Reverse Waterfall) है।

ये रिवर्स झरना (Reverse Waterfall) महाराष्ट्र में कोंकण समुद्र तट और जुन्नर नगर के बीच में स्थित है जिसकी दूरी मुंबई से करीबन 120 किलोमीटर है, वहीं पूणे से इसकी दूरी 150 किलोमीटर है। सुनने में ये बेहद अजीब लगे लेकिन ये एक ऐसा वॉटरफॉल (Reverse Waterfall) है जो जमीन पर गिरता ही नहीं बल्की आसमान की ओर जाता है।

इस जगह को लोग नानेघाट के नाम से जानते हैं, इसके साथ ही कई लोग इसे नाना घाट कहकर भी बुलाते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी कभी हम कोई चीज़ फेंकते हैं या फिर ऊपर की ओर उछालते हैं तो वो चीज़ अपने आप ही नीचे की ओर गिर जाती है, ऐसा गुरुत्वाकर्षण बल के कारण होता है लेकिन इस जगह पर गुरुत्वाकर्षण बल भी अपना काम नहीं कर पाता।

ये भी पढ़ें:
Plants on Moon
चांद की मिट्टी पर उगे पौधे, क्या जल्द ही बसने लगेंगे चांद पर लोग?

इस झरने (Reverse Waterfall) के पानी का नीचे से ऊपर की ओर जाने (Reverse Waterfall) पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जगह पर काफी तेज़ हवाएं चलती हैं इसी कारण झरने का पानी जैसे ही नीचे की ओर आने लगता है वैसे ही तेज हवाओं के कारण ये पानी वापिस ऊपर जाने लगता है और नीचे गिरता ही नहीं।

इस दुर्लभ और सुंदर नज़ारे (Reverse Waterfall) को देखने के लिए दूर दूर से लोग यहां आते हैं, इसके साथ ही ये जगह ट्रेकर्स के बीच भी काफी प्रचलित है। ये ट्रैक एक तरफ से 4- 5 किलोमीटर लंबा है और इसे दोनों तरफ से पूरा करने में करीबन 5 से 6 घंटे का वक्त लगता है।

इस ट्रैक को करने का सबसे सही वक्त बरसात का मौसम होता है जब पानी का फ्लो काफी तेज़ होता है, इस वक्त जो नज़ारा देखने को मिलता है वो बेहद खूबसूरत होता है, तो अगर आप भी इस रिवर्स वॉटरफॉल (Reverse Waterfall) को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आप कोशिश करें की मॉनसून्स में ही यहां जाएं।       

ये भी पढ़ें:
क्यों बनाया गया एक ऐसा बगीचा जहां केवल उगाए जाते हैं जहरीले पौधे

For latest news of Uttarakhand subscribe devbhominews.com

Exit mobile version